खुदाई से निकलीं 2000 साल पुरानी मूर्तियां, सोने के सिक्कों से ढके मिले भगवान

खुदाई से निकलीं 2000 साल पुरानी मूर्तियां, सोने के सिक्कों से ढके मिले भगवान #world

           

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हमारे यहां एक कहावत हे जिसने जात बदली उसने अपना बाप बदला ,,बुद्ध धर्म कोई आसमान से नहीं आया यही से निकला हे और उसमे ऐसी कोई नफरत वाली बात नहीं है कहीं भी नहीं लिखा के आप बुद्धिस्ट हो तो दूसरे धर्म के देवी देवताओं का अपमान करो उन्हें नीचा दिखा दो ,, बुद्ध शांति का संदेश लेकर दुनिया में शांति का पैगाम देने निकले थे ,,नफरत नहीं ,, यहां कुछ लोग उस धर्म को बदनाम कर रहे हे अपने कुकर्मों से ,,ना तो वो हिन्दू हे और ना ही बुद्ध को मानने वाले,,सिर्फ एक कलंक हे दोनों धर्मो के लिए,,


Krishna Jati लगता है आपने बाइबल पूरी तरह नहीं पढ़ा क्योंकि लिखा है कि यीशु मरने के 3 दिन बाद फिर जीवित हो गए और स्वर्ग उठा लिए गए, और यह सब बात होना पहले से तय था क्योंकि बाइबल में लिखा है कि इजराइली मसीह के आने का इंतजार कर रहे थे लेकिन जब yeshu का जन्म हुआ तो उन्होंने मसीह को नहीं स्वीकार किया और अब भी इजराइली अपने आने वाले मसीह का इंतजार कर रहे हैं, इसलिए वे अपने तीसरे मंदिर के निर्माण की प्रक्रिया में हैं जो यरूशलेम में स्थित है जो सबसे पहले राजा सुलेमान के द्वारा बनवाया गया था


Bindu Baxla Kujur आप की बात से पता चलता है की वहां भी सत्य सनातन हिंदू धर्म था और इसी से थोडी थोडी ग्यान ले कर दूनियां में आज बहूत से मजहब खडे हैं . ए आप के बाईबल से ही प्रमाणित हो रहा है . इसी बात की प्रमाण स्वामी विवेकानंद जी ने सिकागो धर्म सम्मेलन में दिए थे . हमारे भक्त प्रहलाद भी आग से जिंदा हो कर निकल गये थे . आप खूद बताइए, जो इंसान अपने किए हूए रास्ते पर चल कर खूद तडप तडप की प्राण त्याग किए , वह खूद नहीं बच पाए , अगर मैं उनके रास्ता को अनुसरण करूं तो हम को क्या मिलेगा ? हम को कौन बचाने आएगा ?? मूझे समझाईए .


Suraj Yadav

मान लो की कोई गांधी जी की पूजा करता हैं तो उस की मर्जी पर गांधी जी खुद ही खुद को भगवान मानने और पूजे जाने के खिलाफ हो तो फिर बिना उन के सिद्धांतो के पालन किए पूजा गलत हैं. गौतम बुद्ध खुद मृत्यु के वक़्त उन पर फ़ूलों की बारिश हो रही थी तो उन्होंने खुद कहा था की यह फ़ूलों की बारिश तेज हवा से गिर रहे फ़ूलों के कारण हैं ना की कोई देवीय शक्ति. वो खुद ही इस के खिलाफ थे.

जैसे शहीद भगतसिंह ने कहा था की इंसान मरते हैं पर विचार नहीं.. तो फिर हमे किसी के सिद्धांत को याद रखना चाहिए ना की सिर्फ पूजा

अब किसी को पूछो की शहीद भगतसिंह के विचार क्या थे तो वो हंसते हंसते फांसी पर चड जाना बतायेगा जब की वो घटना हैं the ना की विचार या सिद्धांत.

मुख्य बात हैं सिद्धांतो पर अमल करो. लोगों को भी याद कर सकते हैं


Nitin Dubey आर्यों का आगमन 1500 से1000 ई पू कहा जाता है जैसा कि इतिहास भी यही कहता है आर्यों ने भारत की राजनीति में हस्तक्षेप किया और वर्ण व्यवस्था बनाई जो को कर्म के आधार पर थी जो उस समय को उत्तर वैदिक काल कहा जाता है तब से लेके बुद्धा के ज्ञानी होने तक भारत में वर्ण व्यवस्था हावी हो गई लेकिन धर्म नाम की कोई चीज इस दुनिया में कुछ नही था क्या वेद शास्त्र कहते है की ये सनातन धर्म है नही इनको पढ़ने वाले या मानने वालो को ही सनातनी कहा जाता था न की भारत के प्रत्येक नागरिक को।और न इन ग्रंथों को किसी और लोगो को पढ़ने को इजाजत दी।बुद्ध का इतिहास का सुबूत है डेट है टाइम है तो इससे तुम अंदाजा लगा रहे हो की सनातन को मानते रहे होंगे फिर पूरी दुनिया किस धर्म को मानती थी क्यों उस जमाने में तो कोई क्रिश्चन धर्म था ही नही यदि सनातन को मानती तो पूरी दुनिया में 100 से अधिक देश सनातन धर्म के मानने वाले होते फिर क्या वजह की सिर्फ भारत ही सनातन धर्म को मानता है और अंदाजा लगाने से कुछ नही होता है की बुद्ध धर्म नही था तो सनातन धर्म ही मानते रहे होंगे अशोक के शिलालेख में चाणक्य जैसे कोई व्यक्ति का सुबूत नहीं है इन्दिका जैसी बुक में सनातन धर्म का कोई सुबूत नहीं है क्युकी ये बुक उस जमाने के राजनीति के विषय को बताती है। चन्द्र गुप्त जैन धर्म का अनुयायी था ऐसा इतिहास कहता है तो गुरु सनातन धर्म को मानता है और चेला जैन धर्म को इस कभी हो सकता है तो क्या चाणक्य सनातन धर्म की शिक्षा देने में असमर्थ थे क्या जिससे चंद्रगुप्त जैन धर्म मानता था। ऐसे अंधेरे में तीर मत छोड़ों।




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