1º#धूर्तों_और_चूतियों_का_राष्ट्रवाद...
क्रिकेट मैच हारने से देश नहीं हारता, देश तब हारता है जब बिना आमने-सामने के युद्ध के एक फौजी शहीद होता है, जैसे कि वर्तमान में बिना आमने-सामने के युद्ध के रोज 25-30 साल के 4-5 जवान छोरों की लाशें गांव-देहात में आ रही हैं, देश तब हारता है जब ग़लत सरकारी नीतियों के चलते आर्थिक झंझावात में आकर एक किसान आत्महत्या करता है, देश तब हारता है जब किसी गरीब के बच्चे भूखे सोते हैं...
लेकिन देश में इस समय फर्जी राष्ट्रवाद का बोलबाला है और राष्ट्रवाद के अगुआ वे लोग हो रखे हैं जिनके यहां कोई शहीद नहीं होता और न जिनका पीढ़ियों से खेती-किसानी से कोई संबंध है...
"जय जवान-जय किसान-जय हिन्दुस्तान"