India Post GDS Result 2022: कुल 38,926 ग्रामीण डाक सेवक भर्ती के लिए 7वीं शॉर्टलिस्ट जारी, यहां करें चेक

भारतीय डाक विभाग ने जारी की जीडीएस की 7वीं शॉर्टलिस्ट, डीवी के लिए 24 नवंबर तक का समय #Education #Job

           

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देशद्रोही और न्याय के हत्यारे संविधान ने
रक्षक राज्य से अवैध व्यापार करवाकर
और अवैध स्कूल, कॉलेज और अस्पताल चलवाकर
भारत को कमजोर, कर्जदार और दिवालिया बना दिया
और न्याय की हत्या कर दी
इसलिये जब तक लागू संविधान लागू रहेगा तब तक भारत कमजोर, कर्जदार और दिवालिया ही रहेगा और न्याय बरसों में ही मिलेगा.

व्यापार की श्रेणी में आते है सरकारी बैंकें, यात्री जहाज, हवाईजहाज, बसें, ट्रेनें और भाड़ा मालगाड़ियां आदि और सार्वजनिक बिजली का उत्पादन और विक्रय करना, मकान बनाकर बेचना, उद्योगों का संचालन करना, पेट्रोलियम पदार्थ आदि का आयात और आपूर्ति करना, बीमाकरना, डाकघर चलाना, वेअरहाउस किराये से चलाना, दूध डेयरी प्लांट चलाना, खादी भण्डार चलाना, फोन पर बातें कराना आदि काम भी व्यापार की श्रेणी में आते है और व्यापार करना राज्य का काम नहीं होने से ये सब देश को भयंकर घाटा देते ही रहेंगे.
और पढ़ाना और इलाज करना राज्य का काम नहीं होने से सरकारी पढ़ाई और इलाज का स्तर घटिया ही रहेगा.

व्यापार में घाटा खा खा कर दिवालिया हो चुकी सरकारों को घाटा देने वाले कर्मचारियों को और सरकारी प्रोफेसरों, टीचरों और डॉक्टरों आदि को भारी-भरकम वेतन और आजीवन भारी-भरकम पेंशन देने के लिये आंतरिक और विदेशों से विराट कर्ज लेना पड़ रहा है और पेट्रोल-डीजल आदि पर हद से ज्यादा टैक्स बढ़ाना पड़ रहा है और अवैध टोलटैक्स लगाना पड़ रहा है. इसलिये महंगाई बढ़ रही है. और दिवालिया राज्यों पर और दिवालिया भारत पर विराट कर्ज चढ़ रहा है. जबकि राज्य कर्ज से चलने वाली संस्था नहीं है.

विराट विदेशी और आंतरिक कर्जों का विराट ब्याज देश को और राज्यों को विराट नुकसान पहुंचा रहा है.
टैक्स से चलने वाले राज्य के दो ही काम है जल्द रक्षा करना और जल्द न्याय करना. लेकिन राज्य का अधिकांश रुपया अवैध सरकारी व्यापार, स्कूलों, कॉलेजों और अस्पतालों में लगने-डूबने से सरकारें न्यायालयों और न्यायाधीशों की कमी को पूरा नहीं कर पा रही है और सैन्य और पुलिस बलों की कमी, आधुनिक शस्त्रों, उपकरणों और साधनों आदि की कमी, जेलों और थानों की कमी, सड़कों और पुलों की कमी, रेलवेलाइनों की कमी, ओवरब्रिज की कमी, पोर्ट की कमी, अधिकांश जिलों में एयरपोर्ट की कमी और बांध आदि की कमी को पूरा नहीं कर पा रही है. इसलिये भारत रक्षा के हर क्षेत्र में कमजोर है और न्याय बरसों में मिल रहा है.

रक्षा आवश्यकताओं की कमी सेना, पुलिस, प्रजा और देश को कई रूपों में भयानक नुकसान पहुंचा रही है.

व्यापार करना, पढ़ाना और इलाज करना प्रजा का काम है. अतः सरकारें देशहित में सरकारी विद्यालयों, महाविद्यालयों, आंगनवाड़ियों, चिकित्सालयों, पशु चिकित्सालयों आदि को बंद करें.
सरकारी अस्पतालों के बंद होते ही इनमें कार्यरत डॉक्टर अपना खुद का अस्पताल खोल लेंगे और सरकारी स्कूलों और कॉलेजों के बंद होते ही इनमें कार्यरत टीचर और प्रोफेसर अपना खुद का स्कूल और कॉलेज खोल लेंगे.

सरकारें समस्त सरकारी व्यापार और उद्योगों का निजीकरण करें और निजीकरण से प्राप्त रुपयों से विदेशी और आंतरिक कर्ज चुकायें, न्यायालयों और न्यायाधीशों की कमी को और रक्षाव्यवस्था की सारी कमी को पूरा करें.

निजीकरण का विरोध करने वाले और राज्य से स्कूल, कॉलेज और अस्पताल चलवाने वाले देशद्रोहियों और न्याय के हत्यारों यह तो बताओ दिवालिया भारत पर चढ़ चुका 135 लाख करोड़ से अधिक का विदेशी कर्ज कौन चुकायेगा? और दिवालिया राज्यों पर चढ़ता जा रहा विराट आंतरिक कर्ज कौन चुकायेगा? और न्याय के लिये बरसों से तरस रहे करोड़ों पीड़ितों को न्याय जल्द कैसे मिलेगा? और जुर्म की सजा से ज्यादा सजा भुगत रहे लाखों विचाराधीन बंदी कब रिहा होंगे?




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