1ºग्रुप स्टेजेस मे टीम कमजोर टीम्स से जीती है और कैसे जीते है वो बांग्लादेश और पाकिस्तान वाले मैच से हम देख सकते है। अकेले कोहली के दम पर हम इतना बड़ा टूर्नामेंट नही जीत सकते। ना कप्तान में दम और ना ही उसकी कप्तानी में, ना कोई रणनीति। आज जब मुकाबला इंग्लैंड जैसी मजबूत टीम से
हुआ तो कलई खुल गई। कुछ भी हो बहुत दुख हुआ आज की हार से। अभी भी सुधार करते हुए बीसीसीआई को बड़े बदलाव करना चाहिए और खिलाड़ियों का सिलेक्शन उनके फॉर्म और अच्छे परफॉर्मेंस के आधार पर करना चाहिए ना कि आईपीएल में किए गए प्रदर्शन के आधार पर।
2ºचलो अब रोने की जरूरत नहीं है भगवान जो करता है अच्छा करता है हमारी टीम को सबक लेने की जरूरत है मेरा तो मानना है तारीफ जीतने के बू करनी चाहिए पहले से तारीफ दिमाग खराब करती है हमसे अच्छा कोई नहीं का घमंड सर चढ़ नाचता है कोई नहीं जी हम फिर मेहनत करेंगे हो जाता है कभी कभी आ रही हूं कल सुबह सन्डे को मस्त छोले भटूरे की दावत अरे वादा करा हम भारतीय हर हाल में खुश रहना जानते हैं समझे हम रोतलू नहीं है बजा रहे ढोल वाले ढोल बजा सेमीफाइनल तक तो पहुंचे अपनी मेहनत से मेहरबानी से नहीं
3ºआज क्रिकेट में भारत की हार से देश के कर्मठ युवा काफी दुखी हैं! कैरियर बनाने और क्रिकेट खेलने के स्थान पर मैच देखने में रोमांच तलाशने और दीवानगी की हद से गुजरने वाले युवाओं से मेरा कुछ सवाल है......!
1.क्या क्रिकेट का टीम इंडिया ही वास्तविक इंडिया है?
2.'टीम इंडिया' क्या सचमुच में भारत का प्रतिनिधित्व करता है?
3.क्या भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड भारत सरकार के नियंत्रण में है?
4.क्या दुनिया का सबसे धनी खेल संस्थान को देश की समस्याओं से कोई वास्ता है?
5. क्या कभी इन्होंने बाढ़ भूकंप या विभिन्न प्रकार के आपदा पीड़ित लोगों की मदद की है?
6.क्या BCCI युवाओं के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए कोई कार्यक्रम चलाया है?
7.परीक्षा के दिनों में क्रिकेट मैच को देखकर बर्बाद हुए युवाओं के राहत और पुनर्वास के लिए कोई कार्य किया है?
8.क्या इन्होंने देश में दूसरे खेलों को आगे बढ़ाने में कोई मदद किया है?
9.क्या खिलाड़ियों के चयन में कोई भेदभाव रहित मापदंड या पारदर्शी नीति का पालन किया जाता है?
10. क्या इसके पैसों का हिसाब किताब देखने वाला कोई है?
जवाब भी मैं ही देता हूं!
BCCI की कार्यप्रणाली एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तरह है, जिसे भारत की दुख-दर्द, गरीबी, बेरोजगारी, भुखमरी, कुपोषण, समाज, संस्कृति और मुश्किलों से कोई वास्ता नहीं है। यह भारत सरकार के नियंत्रण में भी नहीं है। यह पूंजीपतियों के अवैध और काली कमाई का भौंडा प्रदर्शन मात्र है। अधिकांश मैचों का परिणाम पहले से ही तय रहता है। क्रिकेट मैच को देखना अपने जीवन के सबसे स्वर्णिम समय को अग्नि में आहुति देने के समान है।
आपके पास कोई जवाब हो तो कमेंट करके जरूर बताइएगा!
देश के भविष्य के लिए चिंतित एक जिम्मेदार नागरिक।