India vs New Zealand Series: वर्ल्ड कप के बाद अब न्यूजीलैंड सीरीज... राहुल द्रविड़ की जगह वीवीएस लक्ष्मण हो सकते ह

वर्ल्ड कप के बाद अब न्यूजीलैंड सीरीज... राहुल द्रविड़ की जगह वीवीएस लक्ष्मण हो सकते हैं कोच

           

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राहुल द्रविड़ अपने समय के सबसे टुकटुक खिलाड़ी रहे क्या उन्हें T20 का अनुभव है समझ नहीं आता कि उन्हें कोच क्यों बनाया गया उनमें अग्रेशन ही नहीं है कोच और कप्तान ने एडिलेड की पिच को पहचानने में गलती करी यह बैटिंग पर पैराडाइज पी पिचथी जिस पर घुमाओ नहीं प्राप्त होती है इसलिए जिन पिचों पर स्विंग नहीं होती वहां अर्शदीप और भुवनेश्वर कुमार कभी सफल नहीं हो सकते उनकी पिटाई सुनिश्चित है फिर ओपनिंग में ऋषभ पंत को ना भेजना उनका सदुपयोग नहीं करना और स्पिन डिपार्टमेंट में चहल को अक्षर पटेल की जगह नहीं खिलाना केएल राहुल और रोहित शर्मा की ओपनिंग असफल जोड़ी टीम की नाकामी का मुख्य कारण है ईशान किशन और शुभ्मन गिल यंग ओपनिंग जोड़ी होनी चाहिए थी संजू सैमसन इमरान मलिक की भी जगह बनती थी


जितने भी विदेशी कोचों की मांग कर रहे हैं उन सभी भाइयो से मेरा निवेदन है कि अगर batting कोच किसी को नियुक्त ही करना है तो वो वीरेंद्र सहवाग को करे क्यु की खेल मे तेजी चाइये और सहवाग से बेहतर यह कोई नहीं कर सकता है और बोलिंग कोच चाइये तो मुझे लगता है जहीर खान को नियुक्त करना चाहिए और मेंटर के तोर पर महिंद्रा सिंह धोनी होना चाहिए क्यु की समझ बुझ और चालाकी धोनी से ज्यादा पूरे विश्व मे किसी की नहीं और एक अच्छी keeping skill bhi सीखने को मिलेगी हमारे प्लेयर को बाकी आप सबकी अपनी राय अगर सहमत ना होतो तो भी comment करना और होतो to भी comment करना


Sunil Kumar टीम की बल्लेबाजी मजबूत करने के लिए अक्षर को तरजीह दिया चहल को ना खिलाकर जबकि सब जानते है कि वो spin नहीं करवाता और चहल कहीं भी spin करवा सकता है..! दुसरे spinner अश्विन को भी ipl की बल्लेबाजी की वजह से ही टीम में लिया गया जबकि एक समय उसे ऑस्ट्रेलिया के पिच के लायक नही समझा जाता था तो wickets कैसे मिलते..! इसके उपर टीम ने खुलकर बल्लेबाजी नही की इस वजह से 200 पार के पिच पर लो स्कोर किया जो हार का कारण बना। जैसा हार्दिक खेला वैसी बल्लेबाजी पावर प्ले में करती बल्लेबाजों की फौज तो 200 के पार रन बन जाते और फिर ये रन का दबाव इंग्लैंड के बल्लेबाजों से गलती करवाता क्योंकि उनका moral down होता।


Its not just one off defeat but the way match was conceded raise big questions. A similar defeat was meted out to the Indian team by Pakistan in finals last year also, a 10 wickets defeat is not acceptable.
What the hell bowling coach, batting coach and chief coach have done during all this period. Victories against smaller teams are not true parameters to gauge the success and grit.
During his tenure, whenever India team faced tough opponents, either They have lost or won by a very thin margin, sometimes due to luck only.
For this defeat, the Indian cricket team management, coach, selector and captain are squarely responsible. Wherever politics enters and dances naked, rot and destruction is bound to happen. Dravid must now be shown the door for being blatantly biased against some young players along with declining, aged and not so fit players from whatever region or IPL team they come from. Since, his appointment and his continued manuverings have led Indian cricket team to constant decline. No excuses to be taken in.


सबसे पहले राहुल द्रविड़ को मुख्य कोच से हटाया जाए।सबसे बड़ा दोषी दोनों राहुल, लोकेश राहुल और राहुल द्रविड़ और धूर्त सेलेक्शन कमिटी है।बेचारे रोहित शर्मा सज्जन पुरुष हैं और निर्दोष हैं।रोहित का कुछ चलता ही नहीं है।रोहित धर्मराज युधिष्ठिर हैं। बड़े ही सज्जन और ईमानदार क्रिकेटर हैं रोहित। धूर्तों के बीच में सब कुछ हारकर टूट गए रोहित और बच्चों की तरह रोने लगे। रोहित शर्मा हार के कतई भी दोषी नहीं हैं।रोहित ने टीम इंडिया के हित में,और टीम प्लेयर के रूप में भी अक्सर ही, मुश्किलों में भी, लाजवाब ,खूबसूरत ,बेहतरीन,अच्छी और आकर्षक पारी खेली है। हार के लिए, और सबकुछ के लिए ,सिर्फ कप्तान रोहित शर्मा को ही जिम्मेदार और दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। हार के मुख्य दोषी राहुल द्रविड़ हैं,और विराट कोहली और हार्दिक को छोड़कर, टीम इंडिया के सारे गैर जबाबदेह और गैर जिम्मेदार क्रिकेट खिलाड़ी। पूरा देश रोहित शर्मा के साथ में खड़ा है, चाहे टीम इंडिया की जीत हो या फिर हार हो। प्यारे रोहित!रोना मत मेरे भाई! तुम पूरे देश की धड़कन हो ,जान हो ,और आन- बान -शान हो । हर दिल अजीज हो। एक हार से कुछ नहीं बिगड़ता मेरे दोस्त रोहित। खेल में हार और जीत लगी रहती है। हार के आगे ही जीत है, और डर के आगे भी जीत है।हो सकता है आगे और शीघ्रातिशीघ्र, खुशियां भी मिले।




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