1ºराजनीति इसमें धर्म ढूंढ रही है और जनता उसके बताए रास्ते पर मदमस्त चल रही है। कोई नहीं देख रहा कि पुरुष प्रधान समाज में महिला आज भी प्रताडित है पीड़ित है,
कहां जा रहे हैं हम, हमको दर्द यदि धर्म देखकर होता है तो हम मानव नहीं है, हमको हत्यारे में शैतान और हैवान नजर नहीं आता तो हमारी सोचने की शक्ति समाप्त हो गई है हम कठपुतली बन गये हैं।
मेरे देश, हमारी बहन, बेटियों के लिए अब सोचोगे, सृष्टि की जन्मदात्री को सत्ता के नशे में भोग्या बनाने वालों वो कोख भी शर्म महसूस करती होगी जिसने नौ महिने हमें गर्भ में रखा।
बाकी गोदी मीडिया का काम ही है जहर फैलाना समाज में