1ºसच तो यह है कि हम जो नया भारत चाहते हैं उसमे मजबूती नहीं चाहते है बस अच्छा दिखना चाहिए चाहे जेसे भी हो नए भारत मे अविष्कार तो हो रहे हैं पर मजबूती खत्म हो रही है अंग्रेजो के ज़माने की ट्रेन आज भी मजबूती के साथ ट्रैक पर खडी होती है और चलती है लेकिन इस नए ज़माने के इंजीनियर और सलाहकारों ने एक ऐसे अविष्कार को जन्म दे रहे हैं जो प्रकृति के खिलाफ खिलवाड़ की शुरुआत कर रहा है हमेशा वंदे भारत ही क्यु क्षतिग्रस्त होती है कोई और ट्रेन क्यु नहीं कभी कभी लगता है कि वो पुराना दौर ही ठीक था जिसमें हम सब एक साथ मिलके चल सकते थे आज के ज़माने मे तो होड़ हो गई है कि मे कभी किसी से पीछे ना रहु चाहे मुझे उसकी जान ही लेनी पडे समझ नहीं आता कि हमारी बुद्धि कहा भ्रष्ट हो रही है बाकी जिनको मेरी बात से नाराजगी हो उन सभी भाइयो से हाथ जोड़ कर माफी चाहता हू