1ºऐसे ही कोई @RahulGandhi नहीं बन सकता। उसके लिये-
“तानाशाह की आंखों में आंखें डालकर, निडरता के साथ आदिवासी अधिकारों के लिए आवाज़ उठाना पड़ती है।
अन्याय को संसद से सड़क तक ललकारना पड़ता है। प्रबल विरोध की आँधी में भी सीना तान कर खड़े रहना पड़ता है।
सोचने की बात है... कि मोहम्मद गोरी और गजनी कैसे बार बार गुजरात को लूटते रहे? क्यों महात्मा गांधी ने लड़ने के लिए अहिंसा को ही चुना? और क्यों गुजरात के लोग केवल एक आदमी की अंगुली पर ही नाच रहे हैं?
ना कोरोना काल का मातम, ना मोरबी का क्षोभ ना मान, ना स्वाभिमान... गुजरात गजबे है!!