1ºकोई विवाद यदि उसके आरंभ में हीं नहीं निबटा लिए गए,तो वह धीरे धीरे नासूर की तरह बढ़ जाता है, फिर वास्तविक विवाद का मूल शोधन महा मुश्किल तो होता हीं है,उस विवाद से उत्पन्न और भी कई विवाद सर उठाए खड़े हो जाते हैं।
हमारे पुर्वज प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू जी ने सत्ता हस्तांतरण के बाद सत्ताधीश तो हो गए, लेकिन भावी पीढ़ी के लिए देश की सीमाओं का विवाद छोड़ गए। कितना दुखद है, पाकिस्तान से भी सीमा विवाद है, कश्मीर की समस्या है हीं, सबसे लंबी सीमा चीन से लगती है, वहां भी सब कुछ अनिर्णीत है।अब आज जिस तरह की स्थिति है, कश्मीर मामले में पाकिस्तान तो कुछ कमजोर जरुर हुआ है लेकिन वहां अपने हीं देश के लोग दुश्मन बन रहे हैं। वहीं चीन की साम्राज्यवादी विस्तारवादी नीति के कारण उसकी सैन्य शक्ति और वाणिज्यिक शक्ति के आगे भारत की सामरिक शक्ति से तो यह विवाद का हल संभव नहीं है,कुटनीतिक समाधान हीं संभव है। कितना आश्चर्यजनक है, कांग्रेस, और उसमें भी एक हीं परिवार के लोगों का शासन एक लंबे समय तक देश पर रहा, लेकिन वर्तमान भाजपा शासन से हीं सारे प्रश्न पुछे जाते हैं। जबकि समस्याओं का मूल इतना गहरा है,उसका उन्मूलन भी उतना हीं कठीन है। क्योंकि देश के बाहर से भी और अंदर से भी शासन पर बराबर का दबाव है।