भारतीय छात्र का कमाल, पाणिनि की 2500 साल पुरानी पहेली का निकाला हल

भारतीय छात्र का कमाल, पाणिनि की 2500 साल पुरानी पहेली का निकाला हल #Education

           

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इंडिपेंडेंट के अनुसार, पाणिनि ने एक "मेटारूल" (metarule) बताया था, जिस पर कि परंपरागत रूप से विद्वानों ने हमेशा से यही व्याख्या की:

"समान शक्ति के दो नियमों के बीच संघर्ष की स्थिति में, व्याकरण के क्रम में बाद में आने वाला नियम जीतता है". (विप्रतिषेधे परं कार्यम्) हालांकि, यह अक्सर व्याकरण की दृष्टि से गलत परिणाम देता है.

मैंने इसी गलत व्याख्या को सही रूप में प्रकाशित किया।

इसी मेटा रूल की पारंपरिक व्याख्या को रिसर्च स्कॉलर ऋषि राजपोपट ने ऐसा कहकर खारिज कर दिया कि पाणिनि का इस समान दो शक्ति यानी दो नियमों के बीच के स्थिति वाले नियम का मतलब पारंपरिक व्याख्या के तौर पर जो लिया जाता है।

वह नहीं है बल्कि एक शब्द के बाएं एवं दाएं पक्षों पर लागू होने वाली नियम की बात की जा रही है।

ऋषि राजपूत ने बताया कि मैंने निष्कर्ष तौर पर यह निकाला कि महर्षि पाणिनि ने बिना किसी अपवाद रूप से व्याकरणिक सूत्रों का निर्माण किया एवं अपने सर्वश्रेष्ठ सुदृढ़ व्याकरण को स्थापित किया।

अब आपके मन में शायद यह सवाल जरूर हो सकता है कि यह गलती है या फिर एक रिसर्च कार्य।लेकिन उन्होंने यह कहा है कि यह पारंपरिक व्याख्याकारों की एक गलती है न कि पाणिनि।

महर्षि पानी ने किसी भी प्रकार की गलती नहीं की है बल्कि आज से पिछले ढाई हजार साल यानी जब से पाणिनी व्याकरण की संरचना हुई, तब से इस नियम का जो अर्थ लिया जा रहा है।

वह गलत है। यह सामान्य उत्सर्ग अपवाद नियम जिस अर्थ में सभी व्याकरण वालों ने लिया है वह गलत है।