Pathaan Controversy: एक गाना, 5 दिन और कई राज्यों में विरोध... इस तरह विवादों में आई शाहरुख-दीपिका की पठान

इस तरह विवादों में आई शाहरुख-दीपिका की पठान #Pathan (सुबोध मिश्रा)

           

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तुम्हारी जैसे लगभग सभी चैनलों की ओ औकात भी नही छोड़ा की तुम सच के लिए आवाज भी उठा सके सच दिखा भी पाये या बोल भी पाये मै ऐ भी कहता हूँ की इसके जिम्मेदार भी तुम लोग ही हो आग जब लगती है तो खाली दुसरे की घर नही जलता एक एक करके आस परोस के भी घरो मे आग फैलती हैं ऐ बात याद रखना चाहिए था आज कुछ चैनल ओर कुछ पत्रकार की घरो मै आग लगी है ओ आग तुम्हारे घर पर भी आयेगी आज जनता पिस रही है तुम्हे भी इसकी कीमत चुकाना पड़ेगा


शाहरुख खान की जितनी भी पिक्चर है आ रही है या ती हुई पिक्चर है सब पर बैन लग जाना चाहिए ऐसा हीरो भारत के लिए घातक है नहीं चाहिए इसे जाकर कहोगे यह पाकिस्तान में रहे अपने बीवी बच्चों के साथ यहां इस आदमी की कोई जरूरत नहीं है यह हमारे भारत के लिए भारत द्रोही देशद्रोही है यह भारत का विरोध करने वाला इंसान है और दीपिका पादुकोण में जाकर पाकिस्तान में रहे वहीं पर जाकर आगे दर्शील कपड़े भी पहने और वही जाकर अपने पति को भी नंगा डांस करवाए यहां ना इसके पति जरा और ना ही उसकी जरूरत है और इनकी जितनी भी पिक्चर है सब बैंड हो जानी चाहिए क्योंकि यह हीरो की कोई पिक्चर नहीं देखेगा और कभी नहीं दिखेगा और जो देखने जाएगा मतलब उससे अपने अपने परिवार की रक्षा नहीं करनी है इससे बड़ा पापी इंसान कोई नहीं होगा जो पिक्चर देखने जाएगा मतलब बच्चों को बलात्कार के खेलने के लिए जा रहा है ऐसी चाहिए किसी को भी शर्म आती है भारत में रहते हैं घटिया टाइप के हमारे भारत का नाम खराब कर रहे हमारा भारत से पूरी दुनिया को


राणा जी के 25-25 किल्लो की 6 किडनियां थी। दाएं बाएं पैर में 24-24 अंगूठे थे। पैरों के जूते सीलने के लिए 2 शेरों की खाल की जरुरत पड़ती थी। दर्जन भर लुहार मिलकर उनके नाखून काटा करते थे। उनके कटे हुए नाखूनों से खेत जोतने के हल बनाये जाते थे। वे अपने कान का किटा फावड़े से साफ किया करते थे। किटा इतना अधिक हो जाता था कि उसे उठाने के लिए मजदूर बुलाकर ट्रैक्टर ट्रॉली भरवाई जाती थी। वे जब छींकते थे तब आस पास खड़े पेड़ गिर जाया करते थे।

एक दिन की बात है, राणा जी दो बब्बर शेरों को कोहनी में दबाए जंगल से निकल रहे थे कि उन्होंने एक हाथी की करुण पुकार सुनी। थोड़े करीब गए तो देखा एक वृद्ध हाथी सूखे कुंवे में गिरा हुआ था। कुंवा काफी गहरा था। आपने कोहनी में दबाए दोनों शेरों को झटक कर दूर फेंका और कुंवे में कूद गए। अपना गमछा उतारकर हाथी के पेट पर बांधा और गमछा बांह में लटकाकर हाथी को पीठ पर लादकर कुंवे से बाहर निकाल लाए।

इतना ही नहीं उनका घोड़ा 4800 हॉर्स पावर का था। घोड़े में विशाल आकार के गन मेटल के बुश और गियर्स लगे थे। घोड़ा इतना चमत्कारी था कि सिंगल फेस और थ्री फेस दोनों से चलता था। घोड़े के पैर स्टेनलैस स्टील की 12-12" डायमीटर रॉड के बने थे। घोड़े की पूंछ जब जमीन से रगड़कर चलती थी तो नालियां बन जाया करती थी। पूंछ के नीचे लड़ाकू टैंक सिस्टम था जिसमे से बारूद निकलता था। नाक के नथुने तोप का काम किया करते थे और मुँह से अंगारे बरसते थे। इतना ही नहीं... घोड़ा नाश्ते में 50 किलो लोहे के चने चबाता था।


हॉलिवूड, तोलिवूड,या बाहेरच्या राज्यांना देशांना आपणं मोठ करूया, आपल्या महाराष्ट्राचा पैसा, इतर राज्य आणि विदेश यांना देऊया, चला तर मग आपण सगळे शपथ घेऊया, आपण सर्व कलाकारांच्या चित्रपटांना बायोकोट करुन टाकूया, आणि नंतर मुबई फिल्म इंडस्ट्री नाही तर बाहेरच्या राज्यांची फिल्म सिटी बघुया.एक दिवस हे राजकारणी लोक महाराष्ट्रातल्या लोकांना भिकेला लावतील, विचार करा यात काम करणारे छोटे मोठे,साइड कलाकार, त्यानंतर स्टंट man, त्यानंतर रेकॉर्डिंग स्टुडिओ वाले, संगल्यांचा रोजगार यांच्यावर depaint आहे, शारुख खान ला काहीं एक फरक पडणार नाही. त्यांचे बाहेरील देश विदेशात लाखों चाहते आहेत, पण त्या लोकांचा विचार करा, ज्यांची रोजी रोटी, या शुटिंग वर आवलंबून असते. यात नुकसान कुणाचे आहे. यावर शांत डोक्याने विचार करा.चित्रपटाचा निर्माता - वितरक ~ आदित्य चोपडा (हिंदु)
दिग्दर्शक, कथा ~ सिद्धार्थ आनंद (हिंदु)
संवाद ~ श्रीधर राघवन (हिंदु)
गीतकार ~ राकेश कुमार पाल (हिंदु)
संगीतकार ~ विशाल दादलानी शेखर राजिवानी (हिदु)
नृत्य दिग्दर्शन ~ वैभवी मर्चंट (हिंदु)
दिपिकाच्या कपड्याचा ड्रेस डिझायनर ~ मनिष मल्होत्रा (हिंदु)

शहारुख यात फक्त एक अभिनेता आहे. त्याची भरपुर फी त्याला मिळाली आहे.

चित्रपटात भारत देशाच्या सरकारसाठी काम करणार्‍या राँ गुप्तहेर संघटनेतल्या हेराची भुमिका केली आहे.

बाँयकाँट करुन काय मिळणार ? फक्त मुंबईचं बाॅलिवुड नष्ट करुन उत्तर प्रदेशात न्यायचा प्लँन आहे.


सिर्फ अब्दुल के नाम पर विरोध

पठान की ड्रेस डिजाइनर शलीना नथानी(हिंदू) है क्योंकि फिल्म में ड्रेस डिजाइनर तय करता है कि दीपिका को कौन सी ड्रेस किस समय पहनना है ,
ड्रेस पहनी है दीपिका पदुकोण(हिंदू) ने,
फिल्म की कहानी लिखी है श्रीधर राघवन ने,
निर्देशक हैं -सिद्धार्थ आनंद,
संगीतकार है -विशाल -शेखर,
प्रोडक्शन कंपनी है -यशराज फिल्म्स,
फिल्म को चलने के लिए प्रमाण पत्र दिया है -सेंसर बोर्ड ने जो कि भारत की कट्टर हिंदूवादी सरकार के नियंत्रण में है .
भारत में इस फिल्म को चलाने की अनुमति दी है सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने जोकि कट्टर हिंदू भक्त सरकार के नियंत्रण में है.
विरोध के नाम पर पुतला ""शाहरुख खान"" का फूंका जा रहा है ।
अगर थोड़ा सा भी दिमाग है तो समझ गए होगे!!
और ज्यादा समझाने की जरूरत पड़ी तो ऐसे समझ लो कि ठाकुर प्रज्ञा सिंह जो कि भाजपा सांसद है उन्होंने अपनी सरकार से इसे चलाने के लिए प्रमाण पत्र दिए जाने विरोध बिल्कुल नहीं किया । लेकिन आपसे कह रही है कि इस फिल्म का विरोध करो ।
अर्थात तो क्या पुतले आपके बच्चे जलाएं‌ और थियेटरों में आग आपके बच्चे लगाएं???