जैन धर्म के इतिहास में पहली बार बुजुर्ग पति-पत्नी ने लिया संथारा, 18 दिन से त्याग रखा हैं अन्न-जल

जैन धर्म के इतिहास में पहली बार बुजुर्ग पति-पत्नी ने लिया संथारा

           

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Tushar Onkar तो आपने एसा क्या किया जिससे भारत आगे बढ़ रहा हो......Majboot Singh Daulta हर कोई नहीं कर सकता ये.... जब आदमी समस्त दोषों से मुक्त हो जाता है..... राग देश प्रेम घ्रणा इनसे ऊपर उठ जाता है.... मरने के उद्धेश्य से नहीं भव से पार होने की सोच से ये फेसला लेता है उसे सहलेखना कहते है..... जो हर किसी के बस की बात नहीं है... कोई विरला ही ये कर पाता है....... किसी को गलत या सही बोलने से पहले उसके बारे मे जानकरी होनी चाइये फिर बोले तो उचित रहेगा नहीं तो आपकी अज्ञानता ही सिद्ध होगी


संथारा जैन मतानुसार एक पवित्र मोक्ष मार्ग है जिसका अनुसरण सदियों से जैन बंधु स्वैच्छिक करते आए हैं और इससे समाज या राष्ट्र को कोई हानि भी नहीं है, अतः इस पर विपरीत प्रतिक्रिया से बचना चाहिए।
आत्महत्या का एक मात्र कारण जीवन यापन में आ रही अनियंत्रित बाधाएं होती है या यूं कहिए कि किसी अप्रिय स्थिति से जीवन का मोह भंग हो जाना जबकि संथारा में ऐसा मतैक्य नहीं है बल्कि यहां समृद्ध जीवन यापन के साथ मोक्ष प्राप्ति ध्येय है जिससे एक नजर में असहमत हुआ जा सकता है लेकिन इसका अपमान नहीं किया जा सकता।
परमेश्वर संथारा प्राप्त दंपति को मोक्ष प्रदान करें।




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