न पंडित, न अग्नि, न 7 फेरे..., इस अनोखी शादी का साक्षी है संविधान, देखिए तस्वीरें

इस अनोखी शादी का साक्षी है संविधान, देखिए तस्वीरें

           

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सुन्दर कांड की पूरी चौपाई कुछ इस तरह की है…..

प्रभु भल कीन्ह मोहि सिख दीन्हीं।

मरजादा पुनि तुम्हरी कीन्हीं॥

ढोल, गंवार, शुद्र, पशु , नारी ।

सकल ताड़ना के अधिकारी॥3॥

भावार्थ:-प्रभु ने अच्छा किया जो मुझे शिक्षा दी.. और, सही रास्ता दिखाया ….. किंतु मर्यादा (जीवों का स्वभाव) भी आपकी ही बनाई हुई है…!

क्योंकि…. ढोल, गँवार, शूद्र, पशु और स्त्री…….. ये सब देखरेख शिक्षा तथा सही ज्ञान के अधिकारी हैं ॥3॥

अर्थात…. ढोल (एक साज), गंवार(मूर्ख), शूद्र (कर्मचारी), पशु (चाहे जंगली हो या पालतू) और नारी (स्त्री/पत्नी), इन सब को अपनी देखरेख में साधना अथवा सिखाना पड़ता है.. और निर्देशित करना पड़ता है…. तथा विशेष ध्यान रखना पड़ता है ॥


आर बौद्ध
,, ठीक है भाईसाहब 500 में रात भर मंत्रोच्चारण किया लूट लिया,

,, भाईसाहब
23000 का डीजे
,, 13000 के गमले
,, 2200 का घोडा
,, 20000 का खाना बनाने बाला
,, 170000 हजार की होटल
,, 1700000 लाख के गहने
,, 60000 की बस जीप
,, 40000 की शराब
,, 6000 दोना पातल साफ करने बाले,
,, 14000 खाना परोसने बाले,,
,,
,, इन सबमें भी थोडा़ खर्च होता होगा भाई 500 में लूट??
,, भाई विन बुलाए पडने जाता कोई?
,, आखिर क्यों मुझसे इतनी नफरत मालिक?
,, व्यक्तिगत तो मैं मान सकता किसी को भी किसी से भी बुराई हो जाए,, पर समस्त किसी जाति पर हम कैसे कोई कमेंट करें?
,, बाबा अम्बेडकर अमर रहें


कोई भाग कर शादी कर लेता है,
कोई सिर्फ सिंदूर भर कर,
यहां तक कि सगे रिश्ते को शादी कर लेते हैं
फिर भी समाज उसे अपना लेता है,
इस विवाह में क्या गलत हो गया जो संविधान के बारे में कैसी कैसी टिप्पणी आ रही है।
जिनको जैसा मर्जी शादी करें,
कोर्ट में भी शादी होता है वो भी तो संविधान के अंतर्गत आता है।
हमारे समाज में रस्मों रिवाज के साथ, घर परिवार के साथ धूम धाम से शादी होती है, फिर भी वह असफल हो जाती है, आखिरकार वो भी संविधान के शरण में जाता है, न्याय के लिए...... हर जाति धर्म के भारतीय संविधान से जुड़े हैं, बिना संविधान के कोई भारतीय पूरा हो ही नहीं सकता है।
जय हिंद


Sunil Kumar
कौन पोंगा पंडित क्या तुमसे किसी ने कभी कहा कि पंडित जी को बुलाओ?
सारी दुनियाँ में ऐसी परम्पराएं हैं यहूदियों की , ईसाइयों की, मुसलमानों की, इनके अपने मौलवी अथवा पादरी होते हैं बल्कि इनसे पहले भी वाइकिंग्स,ग्रीक,और रोमन लोगों की अपनी परम्पराएं रहीं हैं पारसियों की अपनी परम्पराएं हैं। सब अपना अपना फॉलो करते है फिर तुम्हें क्या समस्या है? जो रजिस्ट्रार ऑफिस में शादी करो किसने रोका है?
और रही पंडितों की बात तो उनकी संख्या लगातार कम हो रही है कोई भी पंडिताई का काम नहीं करना चाहता जो बचे हैं वो केवल अपने पिता कार्य अपना लेते हैं। इस्लाम या ईसाइयत की तरह हिंदुओं में मदरसे या कान्वेंट तो हैं नहीं जहां पंडिताई के कोर्स होते हों? सीधी बात है जिसे जैसे जो करना है करे लेकिन इसमें पंडितों को गरियाने से क्या मिलता है? मरने के बाद अंतिम क्रिया भी पंडित करवाते हैं तुम मत करवाना? पारसी अपने प्रीय जनों के शवों को गिद्धों का भोज्य बनने के लिए टॉवर ऑफ साइलेन्स में छोड़ आते हैं तुम चाहो तो अपने लिए वही व्यवस्था कर सकते हो।
बिना कुछ जाने समझे किसी वर्ग के पीछे पड़ना लोगों की आदत हो गयी है।


अगर वैदिक परंपरा से विवाह नहीं करना है तो मत करो। फिर ये वरमाला क्यों? ये भी उसी परमपरा का हिस्सा है। सीधे रजिस्ट्रार ऑफिस में विवाह करो किसने मना किया है? जबरन पंडितों को कटघरे में खड़ा करने का क्या मतलब है? किसी पंडित जी ने क्या कोई जबरजस्ती की क्या की हमें बुलाओ? भई जो बुलाता है वो चले जाते हैं नहीं बुलाता तो कोई बात नहीं। आप लाखों रुपए शादियों में खर्च करते हैं हज़ार पांच सौ पंडित जी को देकर सारी दुनियाँ में चिल्लाते हो कि देखो जी पंडित लूट ले गया? कैसी नीच मानसिकता है। मैंने जो टिप्पणी की है उसे इस पोस्ट के नीचे दिखाई दे रहे कॉमेंट्स से समझा जा सकता है। 80% लोग पंडितों को बिना कारण कोस रहे हैं।


हिन्दू दुल्हन को कभी सुट्टा,चिलम फूंकता दिखाते हैं,
कभी हाथ में शराब का गिलास पकड़ा देते हैं,
कभी नीचे से लहँगा गायब कर शोट्स पहना देते हैं।
परंतु हम इनका विरोध नहीं करते बल्कि हमारे घर की बेटियाँ प्री-वेडिंग शूट के नाम पर इनका अनुकरण करने लगी हैं।

वेस्टर्न की नकल कर हिंदू दूल्हा-दुल्हन शेंपियन की बॉटल खोल रहे हैं या मंडप पर किस्स कर रहे हैं।

सनातन संस्कृति यानी हिंदू विवाह पद्धति में दुल्हन देवी स्वरुप लक्ष्मी है और दूल्हा विष्णु अवतार।
सेहरा पहने लड़के से चरण स्पर्श तक नहीं करवाये जाते।
लेकिन रतिक्रिया की कसर छोड़ हर तरह की अश्लीलता का प्रदर्शन हो रहा है।
हम हमारे संस्कारों की धज्जियां उड़ाने वाले टीवी नौटंकी, फिल्मों और फिल्मी लोगों की शादियाँ से प्रभावित हो अपने पवित्र संस्कारों को नष्ट करने पर तुले हैं।

क्यूँ सनातन धर्म की विवाहरूपी संस्था को बर्बाद करने पर तुले हुए हो नकारात्मकता की जगह संस्कार परिवार संस्कृति को बचाने और नई पीढ़ी को इनसे प्रेरित करने के प्रोग्राम बनाये और दिखाये
बालीवुड की तरह तुम्हारा भी बुरा समय तय समझे बस विकल्प मिलने भर की देर है‍
हे प्रभु इन आधुनिकता वादियों को सद्बुद्धि प्रदान करो नहीं तो ये हमारे समाज के तानेबाने को तहस नहस करने में कोई कसर न छोड़ेंगे