1ºप्रकृति ने जैसा बनाया -जो दिया, उसी में ही संतुष्ट बनकर रहोगे तो सुखी रहोगे
परन्तु ये सब खुराफातें आती कहां से इंसान के दिमाग में,,, मुझे लगता है जिन औलादों के पास पैसा बेतहाशा हो और निकम्मा बैठा रहता है उनके दिमाग में ये सब फितूर आते रहते हैं,,, खुराफातों से बचाने के लिए औलादों को किसी न किसी काम में व्यस्त रखो दिमाग़ को खाली मत रहने दो
ऐसे समलैंगिक विवाहों को जो एक पढ़ा लिखा वर्ग जस्टिफाई करता है, क्या वो अब इन सब नुक़सान का हर्जाना देगा जो इसने सर्जरी करवा के, जेंडर चेंज करवा के भुगता है