बाबाओं के दरबार में क्यों भाग जाते हैं भूत-प्रेत? आस्था कहें या अंधविश्वास... ये है इसका मनोविज्ञ

धार्मिक दरबारों या धार्मिक मान्यता के स्थानों में भूत-प्रेत भगाने की मान्यता कैसे काम करती है, इसके पीछे का पूरा मनोवैज्ञानिक कॉन्सेप्ट समझ‍िए.

           

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250 करोड़ के बजट की फिल्म पर 200 करोड़ प्रमोशन और झूठी एडवांस बुकिंग दिखाने के लिए न्यूज चैनलों पर खर्च कर चुकी है PR टीम। ये फिल्म 400 करोड़ के बजट की बन चुकी है। देश की जनता ने गंदगी से भरे बॉलीवुड रूपी पेड़ को जड़ों से हिलाकर रख दिया है पठान के मलियामेट होते ही ये पेड़ जड़ से उखड़ने वाला है। इसके बाद कई बड़े सितारे बॉलीवुड छोड़ने का मन बना चुके हैं। जय हो सनातनी एकता जय श्रीराम सैकड़ो लोगो की वापस सनातन में वापसी करवाने वाले 27 वर्षीय धीरेन्द्र शास्त्री विरोध तो होना ही था
अंधविश्वास फैलाने वाली ईसाई मिशनरियों का धंधा बंद हो जायेगा

चा,द,र और फा,,दर से दूर रहो
#बागेश्वर_धाम_सरकार के इस बयान का मैं समर्थन करता हूं आप करते हैं या नहीं
#बागेश्वर_धाम


भारत में धार्मिक शास्त्रों में भुत प्रेत आदि एक योनि के रूप में प्रतिष्ठित है, और उसके बारे में विपुल सामग्री पढ़ने को मिलती भी है। भारत में हीं कुछ लोग अति आधुनिक भी है जो इन बातों को पाखंड भी कहते हैं,तो कुछ लोग इसे मनोवैज्ञानिक बिमारी बताते हैं।जिस तरह वेद जैसे अनित्य अपौरुषेय श्रूति शास्त्र पर भी लोग शंका करते हैं, विभिन्न विद्वानों ने अपने अपने तरीके से भाष्य भी किया है, जिसमें प्रमुख आदि शंकराचार्य जी प्रमुख हैं,तो गरुण पुराण, विष्णु पुराण शिव पुराण आदि के विषयों पर बात न हो तो लोगों की आधुनिकता पर सवाल हीं खड़ा हो जाएगा।
लेकिन घोर आश्चर्य का विषय है, विदेश में परामनोविज्ञान प्रेत योनि की मान्यता देता है,लोग इसे मानते हैं, स्वीकार करते हैं। हमारे देश में वागेश्वरधाम सरकार की लोगों की समस्या लोगों से पुछे जाने बगैर बताने पर बवाल मचा हुआ है, जबकि विदेशों में खास प्रशिक्षित लोग हैं इस विधा से अपराध नियंत्रण पुलिस शाखा के सहयोगी।दुखद है,जिस विद्या का गुरु भारत रहा है,उस विद्या को भारत में हीं चुनौती दी जा रही है। हमारे देश में जन्म से मृत्यु तक कोई न कोई परंपरा है,लोग निभाते हैं, और उस पर भी नव आधुनिक सवाल खड़े करते हैं।कभी विदेशों में जाकर देखे हैं, वहां के लोग कितने चुस्त है अपने परंपरा निभाने में!
विदेश में जहां या तो ईसाई हैं या इस्लामी हैं।तो भारत में हीं इन दोनों धर्म के लोगों को देख लो, कितने चुस्त हैं अपने धर्म और धार्मिक परंपराओं के निर्वहन में।
आधुनिक बन कर तो प्रकृति का विनाश कर लिया। आधुनिक बन कर,यानी आयुर्वेदिक जीवनशैली छोड़ कर रोगों का घर बना लिया, लेकिन अभी भी होश नहीं आ रहा है।


और सब ठीक हुए हैं मैं उनसे भी बोलती हूं कि जरा अपना इलाज डॉक्टर से भी करवा लेना तो पता पड़ जाएगा ऐसे नहीं किसका मंतर जंतर है वह दो-तीन दिन के लिए हुआ और बाद में वह बीमारी गंभीर हो जाए शरीर के अंदर फिर ना यहां के रहोगे ना वहां के रहोगे ढूंढ के पाखंड में फस के देसी मेरे पापा बसे पर मेरे पापा ने भी एक ढोंगी बाबा के चक्कर में अपनी जान को गवा दिया भुला पथरी थी पेट में पथरी का इलाज करवाने गए थे फिर पापा पता पड़ा ब्यावरा में एक शमशाबाद के आगे की बात कर रही हूं बैरसिया रोड भोपाल रोड के पास में पड़ता है ब्यावरा वहां पर ढोंगी पाखंडी बाबा आया था प्रार्थी पथरिया निकाल रहा था मेरे पापा गुप्ता जी वह भी चले गए पथरी निकाल दूंगा पापा को बेहोश कर दिया और कुछ अजीब सी चीज पापा बताते हैं तलवार उठाई थी क्या जीसीसी उठाई थी उससे कुछ किया और की एक आवाज आई ना वो पापा को पसीना कुछ दिखाया बाद में हमारे पापा को ठीक होगा ठीक होगा हमारे पापा ने कहा है कि पापा गए मम्मी ने पूछा पापा का विश्वास ठीक हो चुका हूं मेरे पास गई थी रोते रहे