1ºबस यही फर्क है गांव के बच्चे और शहर के बच्चे में गांव के बच्चे खुद के दम पर कूदते है और शेर के बच्चे दूसरे के दम पर कूदते हैं। सबसे अच्छा रोजगार
देश में बनो सड़कछाप पत्रकार
थू है ऐसी पत्रिकारिता पर ।सारे न्यूज चैनल ऐसे प्रमोशन कर रहे हैं जैसे 20% कमाई में इनकी दलाली मिलेगी पठान बॉलीवुड का पहली एक ऐसा फिल्म है जिसे बनाने और देखने दोनों के पैसे निर्माताओं को चुकाने पड़ रहें हैं हमारे यूपी बिहार के भाषा में अंध भक्तों को जीजा जी बोलते हैं कृपया इस वर्ड का प्रयोग सोच समझकर करें चमचो के लिए। https://m.facebook.com/st...mibextid=Nif5oz
2ºकलाकारों के अहंकार पर विवाद हुआ पर दुर्भाग्यवश हमारी जनता समझने में कंफ्यूज है 4 साल के बाद फिल्म आई है तो आप सोच लीजिए कहावत आपने सुना होगा कसके भूख लगा रहे हो खाना कैसा भी हो खाएगा आदमी न का जहां तक सवाल है अंसारी जी सवाल बिकिनी कलर का है इस फिल्म को काट छांट करने के लिए दर्शाया गया है सेंसर बोर्ड दूरदृष्टि सोच ने वाले अधिकारी तो है नहीं उनको जो समझ में आया उन्होंने कैंची चलाया पर पूरा कहानी सेंसर बोर्ड को भी समझ में नहीं आया सेंसर बोर्ड को इस पिक्चर रियल स्टोरी समझने में देरी कर दिया आम जनता तो कंफ्यूज है यार उसको तो केवल फिल्म देखना है उससे अच्छा संदेश समझने की जरूरत छोड़ो है केवल इंजॉय कर रहे हैं क्यों इंजॉय वाले को कुछ भी परोस के दे दो चलेगा यार