माफी की मांग पर बोले राहुल- मेरा नाम गांधी है, सावरकर नहीं

माफी की मांग पर बोले राहुल- मेरा नाम गांधी है, सावरकर नहीं #RahulGandhiDisqualification #Congress #Savarkar

           

https://www.facebook.com/aajtak/posts/10163452088762580

वीर सावरकर जी को 7 X 11 साईज़ की कोठरी में रखा था, जिसमे सीमेंट की पक्की जमीन थी । ठण्ड हो या गर्मी उसी पर सोना है । इसी कोठरी के एक कोने में खुले में शौच और पेशाब करना है । गले-हाथ और पैरों में बेड़ियाँ लगी रहेंगी उसी स्थिति में, जो भी और जैसा भी मिले, वैसा भोजन करना है ।
फिर इसी स्थिति में बैल की तरह कोल्हू में लगकर तेल निकालना पड़ता था ।
पूरी जेल में बेहद दुबले-पतले सावरकर एकमात्र ऐसे कैदी थे, जिनके गले में अंग्रेजों ने तांबे की पट्टी लटका रखी थी, जिस पर "D" लिखा हुआ था ।
D यानी Dangerous... वही एकमात्र कैदी थे, जिसे अंग्रेज "डेंजरस" मानते थे और यह चक्र चला पूरे 11 साल तक,
जी हाँ पूरे ग्यारह वर्ष तक.. चला ।।
सावरकर ने गांधी नेहरू कि तरह अग्रेजो कि चापलूसी कि होती तो वे भी लंम्बी कारो में शान से घुमते।
और राहुल गांधी तुम 100 जन्म ले लो तब भी वीर सावरकर से तुलना तक करने कि भी सोचना मत।


Anil Kumar अनपढ़ गवार राहुल के नाम में खान कहां से आ गया अपने अधूरे ज्ञान को पूरा कर। अंधभक्त मैंने आपको सारा लिख दिया अपना ज्ञान पूरा कर। इंदिरा नेहरू से इंदिरा गांधी कैसे बन गईं वैसे ये वाकया स्वतंत्रता प्राप्ति के पहले का है, जो उनके पति के संघर्ष के दिनों से शुरू होता है। इंदिरा गांधी के पति थे फिरोज जहांगीर घांदी जो बाद में फिरोज गांधी बन गए और बाद में उन्हें इंदिरा से प्यार हुआ और दोनों पति पत्नी बन गए। फिरोज गांधी का जन्म बंबई के एक पारसी परिवार में हुआ था। बचपन उन्होंने बबंई और इलाहाबाद में गुजारा। जब वे महज 18 साल के हुए भारत के स्वतंत्रता आंदोलन ने उन्हें अपनी ओर आकर्षित किया और वे बन गए स्वतंत्रता सेनानी।इसी दौरान उनकी मुलाकात इंदिरा और उनकी मां कमला नेहरू से हुई। आंदोलन के दिन धूप बहुत थी और इसके कारण कमला नेहरू बेहोश होकर गिर पड़ी, फिरोज उन्हें एक जगह ले गए और वहां उनको होश में लाए।इस वाकए के अगले ही दिन फिरोज ने अपनी पढ़ाई छोड़ दी और पूरे तरह से स्वतंत्रता आंदोलन में लग गए । स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने के साथ ही फिरोज ने अपना उप-नाम घांदी से गांधी कर लिया जो आज तक उनके परिवार वाले इस्तेमाल कर रहे हैं। इस दौरान वे कई बार लाल बहादुर शास्त्री के साथ जेल भी गए। जैसा कि फिरोज गांधी स्वतंत्रता सेनानी थे तो वे नेहरू के करीब पहले से थे। लेकिन अब वे नेहरू परिवार के और करीब आने लगे और कमला नेहरू के वे चहेते बन गए। वे 1934 में कमला नेहरू की भोवाली यात्रा में भी उनके साथ थे।उसके बाद जब कमला नेहरू की हालत 1935 में खराब हुई तो उन्होंने आनन-फानन में यूरोप ले जाने के लिए सारे इंतजाम किए। यूरोप में लंबी बीमारी के चलते कमला नेहरू की मौत हो गई। जब कमला नेहरू का निधन हुआ तब वे उनके पास ही थे। इन सालों में इंदिरा और फिरोज एक दूसरे के बहुत करीब आ चुके थे और आखिरकार मार्च 1942 में दोनों ने हिंदु रीति-रिवाजों से शादी कर ली।