एक माफी से बच सकती थी राहुल गांधी की सदस्यता! मानहानि के मामले में पहले भी तीन बार मांग चुके हैं म

एक माफी से बच सकती थी राहुल गांधी की सदस्यता! #RahulGandhi #LokSabha #DefamationCase

           

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माँ सरस्वती ने राहुल का “दुर्भाग्य”
“सौभाग्य” में बदल दिया -
कांग्रेस सरकार रहते सजा होती,
तो अब तक Emergency लग जाती,
अध्यादेश फाड़ना अभिशाप बनेगा,
किसने सोचा था -

कल सूरत सेशन कोर्ट से मानहानि के मुकदमे में दो साल की सजा मिलने के बाद आज राहुल “गंदगी” की लोकसभा की सदस्यता ख़तम कर दी गई और अब से 6 साल के लिए वह चुनाव लड़ने के लिए भी “अयोग्य” हो गया - आने वाले समय में चल रहे 6 अन्य केसों में ऐसे ही फैसले आते हैं तो कभी लोकसभा का चुनाव लड़ना संभव नहीं होगा कांग्रेस के शहजादे के लिए -

कल का फैसला आने से एक सप्ताह पहले 16 मार्च को राहुल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि “दुर्भाग्य से मैं सांसद हूँ” - यानी सही मायने में माँ सरस्वती ने राहुल की जिहवा पर बैठ कर उससे कहलवाया और एक सप्ताह बाद कल वह दुर्भाग्य सौभाग्य में बदल दिया जो अब वह सांसद नहीं रहा -

कांग्रेस के लोग बिफर रहे हैं जो अदालत के फैसले के लिए भी मोदी और भाजपा को दोष दे रहे हैं, उन्हें ऐसे फैसले अदालतों से मंजूर ही नहीं हैं क्योंकि वे तो न्यायपालिका को जेब में रखने के आदि रहे हैं - आज यदि कांग्रेस सत्ता में होती और राहुल को सजा होती तो अब तक तो देश में Emergency लग गई होती -

अभिषेक मनु सिंघवी ने अंग्रेजी का शब्दकोश खोल लिया, उन शब्दों का हिंदी अनुवाद मैं नहीं कर सकता, ऐसे ही बताता हूँ क्या कहा है उसने -
"legally unsustainable conclusions" - and vowed its politicians would not be silenced.
"Make no mistake. All your attempts to create a chilling effect, a throttling effect, a strangulating effect on open fearless speech relating to public influence will not stop either Rahul Gandhi or the Congress Party,"

यह सजा और सदस्यता ख़तम होने की कहानी कहां से शुरू हुई और क्या ऐसे अंजाम पर पहुंचेगी, यह राहुल “गंदगी” ने सोचा नहीं था -

-10 जुलाई, 2013 को सुप्रीम कोर्ट ने Ms Lily Thomas and Mr. S.N Shukla of Lok Prahari की याचिका पर फैसला दिया था कि यदि किसी sitting MP/MLA को 2 साल या उससे ज्यादा सजा होती है तो उसकी सदन की सदस्यता तुरंत प्रभाव से समाप्त हो जाएगी और उसकी सीट खाली मानी जाएगी -
- 30 अक्टूबर, 2013 को चाईबासा चारा घोटाले केस -आरसी 20(ए)/96 - (37.80 करोड़) में सी बी आई विशेष अदालत ने लालू यादव को 5 साल की सजा सुनाई थी जब लालू की पार्टी राजद UPA की घटक थी;
- लालू को बचाने के लिए मनमोहन सिंह सरकार सितम्बर, 2013 में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को पलटने के लिए एक अध्यादेश लाई जिसमें 2 साल की सजा की जगह 5 साल की सजा पर सदस्यता ख़तम करने का प्रावधान किया गया और यह दर्शाता है कि कांग्रेस में अदालत के लिए कितना सम्मान है;
-परंतु राहुल गांधी ने इस अध्यादेश को प्रेस कॉन्फ्रेंस में फाड़ते हुए कहा -“complete nonsense” that should be torn and thrown out”

मतभेद इस विषय में राहुल के मनमोहन सिंह से कुछ भी रहे हों परंतु उसने बता दिया कि वह अपने प्रधानमंत्री की कितनी इज़्ज़त करता है और यह समझने में चूक नहीं करनी चाहिए कि ऐसे में वह प्रधानमंत्री मोदी की क्या इज़्ज़त करता होगा -
लेकिन मैं निजी तौर पर राहुल के उस दिन अध्यादेश फाड़ने को भारतीय राजनीति के लिए एक वरदान मानता हूँ क्योंकि ऐसी रिपोर्ट हैं कि अभी तक 200 से ज्यादा MP/MLA अयोग्य घोषित हो कर सदस्यता खो चुके हैं -

अलबत्ता राहुल को अध्यादेश फाड़ते हुए आभास नहीं होगा कि एक दिन मियां की जूती मियां के सर पर ही पड़ेगी और वह खुद इसका शिकार होगा -
“होइहि सोइ जो राम रचि राखा। को करि तर्क बढ़ावै साखा”




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