1ºइस तरह जंजीर में बंधे बाधित जकड़े लोग जिनमे सर्फ भय या आक्रोश भाव ही रह जाए वह रचनात्मकता और बौद्धिकता को को देगा।कोई कार्य निपुणता से नई रचनात्मक ऊर्जा से नहीं कर पाएगा मन बाध्य उदास या उग्र होते जायेंगे।रफ्तार,इच्छा शक्ति थम जाएगी या उग्रता चरम पर पहुंच जाएगी धर्म भी केवल क्रोध भाव में प्रदर्शित होगी उदंडता उभर कर आयेगा जो आज कल हो रहा है,सुंदरता,प्रेम,अनुसंधान बंद हो कर नफरत पनप रहा है और यह सत्ता और मीडिया के रविये ने किया है ,आखिर अब यह उच्चतम न्यायालय ने यह टिप्पणी दी है!
जनता लाचार सी दिखती है और कुछ बहुत उग्र