राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के कविता की कुछ ख़ास पंक्तियां

आज रामनवमी के मौके पर राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के कविता की कुछ ख़ास पंक्तियां हैं जो मर्यादा पुरषोत्तम श्री राम भगवान के बारे में हमे सिखाती हैं क्षमा और शक्ति के महत्व को. #SocialMediaSpecial #Ramnavmi #LordRam #Viral | Gaurav Chitranjan Sawant

           

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आज दिनभर राजा राम के चरित्र के बारे में पढ़ा। एक साहब ने लिखा, वो राज्य के लिए न तो अपने बाप से लड़े और न अपने भाईयों से। जबकि सबसे बड़े थे तो स्वतः ही राजसत्ता के दावेदार थे। दूसरे साहब ने कहा, उन्होंने न अपने बाप पर अय्याशी के इलज़ाम लगाकर क़ैद किया और न भाइयों को अधर्मी बताकर सड़कों पर घुमाया, न किसी भाई को जेल में डाला, और न सूली लटकाया। जबकि उनके पास ये सब करने के कारण थे। तीसरे ने कहा, राम अपने लिए नहीं लड़े। ऐसा भी नहीं था कि लड़ना नहीं जानते थे। लड़े, और ख़ूब लड़े। लेकिन बाली को हराकर सत्ता सुग्रीव को सौंप दी। रावण से लड़कर लंका का राजा विभीषण को बना दिया। न राज्य का मोह हुआ और न सोने की लंका का...
ख़ैर, यह तो हुईं दार्शनिक बातें। राम को मानने वालों ने उनके जीवन से क्या सबक़ लिया? दुनिया भर में संख्या के लिहाज़ से भाइयों की हत्या, भाई की ज़मीन हथियाने, भाई-भतीजों के हिस्से दबाने, बाप को मारने के सबसे ज़्यादा मामले भारत में हैं। राम का नाम लेकर लोग धन उगाहते हैं, कमज़ोरों को धमकाते हैं, दंगे भड़काते हैं, अपने बड़े-बड़े साम्राज्य बनाते हैं। ये कौन हैं जो राम के नाम लेकर सत्ता हथिया रहे हैं, राम के नाम पर मठाधीश बन रहे हैं, राम के नाम के जबरन चंदे उगाह रहे हैं, ज़मीनें हथियाकर मंदिर बना रहे हैं, सड़कों पर तलवारें लहरा रहे हैं, औरतों-बच्चों को निशाना बना रहे हैं, अन्याय कर रहे हैं, और मज़लूमों के सामने ज़ालिमों को संरक्षण दे रहे हैं? इन्हें देखकर कौन समझेगा कि राजा राम का चरित्र कैसा था? जैसा उनका यश है, उनकी महानता का मान है, उनके न्याय का गुणगान है, उसके बरअक्स इनको रखकर देखिए। कौन कहेगा ये उसी राम के धर्म का पालन कर रहे हैं जिसको हमने पढ़ा है, समझा है, जाना है? हम तो इनके ही चाल, चरित्र, और चेहरे देख रहे हैं :)




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