1ºपत्रकारिता के पवित्र प्लेटफार्म पर खडा़ होकर यह तिहाडी़ शख्ससीधे सीधे झूठ बोलरहा है,
१-इलाहाबाद हाईकोर्ट के माननीय जज जगमोहनसिनहा जी ने ,इंदिरागांधी के पेशी के समय,
पूरे कोर्ट बार सबको निर्देशित कर दिया था कि इंदिरागांधी के कोर्ट में दाखिल होते समय कोई उनके सम्मान में खडा। नहीं होगा।
२- बयान देते समय माननीय जज ने उनको उनके पद के हिसाब से असुविधा कीस्थितिमें कुर्सी उपलब्ध करा दी,
जो कठघरे के भीतर यानी जज की कुर्सी के काफी नीचे स्थित रही।
३- फिर भी यह तिहाडी। बोलरहा है कि जज के समानान्तर कुर्सी दी गयी थी,
मुनि केक्षमा, श्राप से भारी।
अपने पाप जाहुं अपकारी।।
पत्रकारिता जैसे पवित्रतम विधा के साथ अपकार करने में तिहाड रिटर्न होने के बावजूद भी यह सुधर नहीं रहा।
2ºदुनिया में केवल इस्लामिक मान्यताओं और तानाशाही में नस्लवाद को कोई अपराध नहीं माना जाता। राहुल गांधी को 2 साल की सजा एक नस्लवादी टिप्पणी के कारण भारतीय अदालत ने दो है, वैसे भारत का कानून नस्लवाद पर कोई कठोर कार्रवाई नहीं करता यही प्रकरण अगर किसी दूसरे यूरोपीय देश में हुआ होता तो राहुल गांधी को अपनी नानी याद आ जाती। मुझे तो समझ में नहीं आता इस तरह के नस्लवादी विचार के व्यक्ति के लिए कैसे भारतीय मीडिया के पास समय होता है। जर्मनी अगर राहुल गांधी के समर्थन में खड़ा होता है तो यह माना जा सकता है की हिटलर का देश होने के कारण नस्लवाद आज भी वहां पर लोगों के दिनचर्या का हिस्सा हो लेकिन भारत तथा हिंदू धर्म में नक्सलवाद के लिए कोई जगह नहीं है।