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किसी भी देश क़ी शासन व्यवस्था धर्म / मज़हब (Religion) पर आधारित नहीं, बल्कि तर्क (Reason /Logic)आधारित लोक कल्याण वाली विधिक शासन (Rules Of Laws ) होना चाहिए और न ही देश (Country) /राष्ट्र(Nation)/राज्य(State) की धार्मिक(Religious )पहचान वाली शासन -व्यवस्था होनी चाहिए | धर्म/मत /पंथ / मज़हब व्यक्ति के निजी आस्था का विषय है, न कि शासन -व्यवस्था का | शासक(वस्तुत: लोकसेवक )के द्वारा अपनी निजी आस्था को लोगों पर नहीं थोपना चाहिए, आस्था का प्रभाव व्यक्तिगत होता है, बल्कि व्यवस्था का प्रभाव सार्वजनिक होता है | देश की शासन व्यवस्था का दायित्व सार्वजनिक व्यवस्था को बेहतर करना होता है, न कि लोगों को धार्मिक / मज़हबी बनाना | देश (Country) /राष्ट्र(Nation)/राज्य(State) को धर्म /मत /पंथ /मज़हब से तटस्थ रहते हुए विधि के शासन(Rules Of Laws ) को स्थापित करना चाहिए, देश (Country) /राष्ट्र(Nation)/राज्य(State) को सुनिश्चित करना चाहिए, कि किसी धर्म - विशेष के प्रभाव में आकर सार्वजनिक व्यवस्था ध्वस्त न होने पाए | देश (Country) /राष्ट्र(Nation)/राज्य(State) की दृष्टि में सर्वधर्म समभाव की भावना होनी चाहिए और दिखनी भी चाहिए, ताकि आम लोगों को पंथनिरपेक्षता (Secularism) का महत्त्व समझ में आए, जिससे कि शान्ति और सद्भावना की स्थापना हो सके तथा देश एक समाज के रूप में प्रगति कर सके |
दुर्भाग्य से धर्म /पंथ /मत /मज़हब एक ऐसा मसाला बन चुका है,जो गन्दी राजनीति और चाटुकार मीडिया के हर तड़के में काम आ रहा है, जिसमे भुनी जाती है आम जनता | ऐसी ओछी राजनीति करने वालों को सत्ता मिल जाती
है और मीडिया को TRP...., किन्तु आम जनता को क्या ......? कुछ सयाने लोगों ने राजनीतिक सत्ता की सीढियाँ शीघ्रता से चढ़ने के लिए अपरिपक्य मानसिकता वाले युवाओं / आम लोगों को बहला -फुसलाकर अपने स्वार्थ के अनुरूप धर्म /मज़हब /समाज की रक्षा की पट्टी पढ़ाकर उन्मादी संगठन तैयार करके अपना हित साधा है ... !!! जय भारत....! जय संविधान...! जय ज़वान...! जय किसान...!!!!