2 टिप्पणियाँ

ये सब बौद्धिक दिवालियेपन के शिकार हो गये हैं ,दरअसल ये और कुछ नहीं हिन्दू धर्म को गरियाने की फैशन परेड़ है इन लोगों को गलत फहमी हो गई है कि ऐसा "ऊल झलूल" बकने से वे भी कन्हैया कुमार बन जाएंगे जिस पर देश द्रोही व अलगाववादी ताकतें पैसा लगा रही हैं ,इन पालतू कुत्तों को इनकी औकात देश की जनता सीखा देगी, बेशर्मी की भी हद होती है जिस विचार धारा को आवाम ने पहले ही खारिज कर दिया और जिसकी प्रासंगिकता पूरी दुनिया से लुप्तप्राय हो गई है वे इस देश में हाराम की खा कर अपने लिए आज भी खाद पानी तलाश रहे हैं।

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मैं भारत सरकार को टैक्स देता हूं
ताकि मेरा भारत विकास गति से आगे बढ़े
मैं भारत सरकार को इसलिए टैक्स नहीं देता हूं
कि मेरे टैक्स के पैसों से भारत में रहकर की भारत के विरोध में या किसी धर्म या समुदाय के प्रति नफरत फैलाने के लिए
मैंने टैक्स इसलिए दिया है ताकि आने वाला भविष्य मेरे बच्चों के लिए सुरक्षित रहे
और मेरा भारत विकास की नई ऊंचाइयों को प्राप्त करें
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अगर मेरा टैक्स का पैसा ऐसी कॉलेज बनाने के लिए और ऐसी शिक्षा देने के लिए उपयोग में आता है
तो मुझे अपने आप को शर्म महसूस होती है.
जय हिंद जय भारत वंदे मातरम


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