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वारेन बफेट से अडानी की कैसी तुलना। वारेन बफेट आज भी अपने देश के लिए जीता है, देश हित को ध्यान में रखकर रोजगार के अवसर को साकारात्मक ढंग से सृजन करता है। अप्रत्याशित कर वृद्धि, महंगाई व राष्ट्रीय संसाधनों पर नियंत्रण स्थापित कर उसका मनमाना दोहन से खड़े किए गए संपत्ति के रेकॉर्ड का कोई मतलब नहीं रह जाता। रोजगार के अवसर उत्पन्न होते तो माना जा सकता था कुछ तो हुआ।लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है। यहां ज्यादा से ज्यादा पूजी बनाकर जनता को नियंत्रित करने की योजना चल रही है, लोकतंत्र के ढांचे को कमजोर करने की योजना चल रही है जो बहुत हीं भयावह है ।सैंया भए कोतवाल अब डर काहे का। जनता को सोचना होगा।

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