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उत्तर प्रदेश की सियासत में मुलायम परिवार का रुतबा लगातार कम होता जा रहा है. 2017 में सूबे की सत्ता से बेदखल होने के बाद 2022 के विधानसभा चुनाव में भले ही सपा के विधायकों की संख्या बढ़ी है, लेकिन राज्यसभा और विधान परिषद में सदस्य घटे हैं. वहीं, मुलायम परिवार की तीन दशक पुरानी सहकारिता की सियासत के मजबूत किले को भी बीजेपी ने पूरी तरह से ध्वस्त कर अपना दबदबा कायम कर लिया है. शिवपाल यादव के बीजेपी के नजदीक होने का भी सियासी फायदा नहीं मिल सका है और उनके बेटे की पीसीएफ की कुर्सी से छुट्टी हो गई है.
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