2 टिप्पणियाँ

मर जवान, मर किसान......
मरती बहन- बेटीयो की आन........
फिर कैसे बढी, माँ भारती की शान........

जो वर्दी में जाते हैं......
और ताबूत में आते हैं.....
ऐसे शहीदों की पैशन जो खाते हैं.........
वही MP/MLA पहले मासिक पैशन (लाखो) पाते हैं
फिर अरबों डकार कर,मुर्दा जमीर के चरित्र हीन नेता
पहले विजय माल्या को राज़्यसभा पहुंचाते है
और फिर राजा मछुआरे के जल महलो में जलपरियो
संग महीनों तक रोज नई सुहागरात मनाते हैं......

जरा ध्यान से पढो और गहराई से सोचो????????
मासूम मत वालो (वोटर्स) .........
सिनेमा जगत, मोडलिंग के क्षेत्र में संघर्षशील.......
हिद की मजबूर बहन- बेटीया, शिकार बन कर........
वूमेन, वाईन, वैल्थ के वहशी दरिदों की हवस मिटाती है.....

जिम्मेदार कौन,????????? .......
हम मासूम मत वाले ही तो अपना वोट देकर ......
सत्ता रूपी दुल्हन,एक ऐसी आग, जिसे बुझाने हेतू....
जिस्म खोर नेता, हवा में और तेज भाग कर
जिस्मानी आग को कई गुणा अधिक बढाते है.........

नेचर्स सिक्स्थ सैस की कलम वाला........
बेटी बचाओ का सच्चा- समर्पित रखवाला........
आज पाठक भाई-बहनो को नंगा संदेश दे डाला.......

राजा मछुआरा मतलब KING FISHER


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हमारी न्याय-व्यवस्था

#हरिशंकर_परसाई

अभी तक मैं सोचता था कि अर्जुन युद्ध नहीं करना चाहता था, परंतु श्रीकृष्ण ने उसे लड़वा दिया। यह अच्छा नहीं किया।

लेकिन अर्जुन युद्ध नहीं करता तो क्या करता? कचहरी जाता !! ज़मीन का मुकदमा दायर करता? यदि वन से लौटे पाण्डव जैसै-तैसे कोर्ट की फ़ीस चुका भी देते तो वकीलों की फ़ीस कहॉं से देते? और कचहरी में धर्मराज का क्या हाल होता? वे Cross Examination के पहले झटके में ही उखड़ जाते। सत्यवादी भी कहीं मुकदमा लड़ सकते हैं? कचहरी की चपेट में भीम की चर्बी उतर जाती।

युद्ध में अठारह दिनों में ही फ़ैसला हो गया; कचहरी में अठारह साल भी लग जाते, और जीतता तो दुर्योधन ही क्योंकि उसके पास पैसा था।

सत्य सूक्ष्म है, पैसा स्थूल है। न्याय-देवता को पैसा दिख जाता है; सत्य नहीं दिखता।

शायद पाण्डव मुकदमा लड़ते-लड़ते मर जाते, क्योंकि दुर्योधन पेशी बढ़वाता जाता। पाण्डवों के बाद उनके बेटे लड़ते, फिर उनके बेटे।

श्रीकृष्ण ने बड़ा अच्छा किया जो अर्जुन को लड़वाकर अठारह दिनों में फ़ैसला करवा दिया, वरना आज कौरव-पाण्डव के वंशज किसी दीवानी अदालत में वही मुकदमा लड़ रहे होते।


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