2 टिप्पणियाँ

उनकी आबादी जिसकी गांव ज्यादा होती है टीवी एरिया में ज्यादा होती है किसी दूसरे धर्म की आबादी से तो यह उस जवाब दो अपने हाथों में लेकर वहां पर अपने शरिया कानून लागू होने दिया और ऐसे ही झारखंड के ही गांव में भी हुआ उनको यह सोचना चाहिए अगर इनको उनको उर्दू ही स्कूल बनाना है फिर मदरसे किस लिए है मदरसों में पढ़ाई करो ना जागे स्कूल में क्या उर्दू सीखने आते हो तुम्हारे लिए मदद से बनाए हुए हैं आप वहां जाकर शिक्षा स्कूलों में ऐसा क्यों कर रहे हो आप लोग कुछ नहीं धीरे-धीरे इस देश को इस्लामिक देश बनाना चाहते हैं

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हम्पी में विठाला मंदिर सबसे शानदार स्मारकों में से एक है. इसके मुख्य हॉल में लगे 56 स्तंभों को थपथपाने पर उनमें से म्यूजिकल साउंड्स निकलती हैं. हॉल के पूर्वी हिस्से में प्रसिद्ध शिला-रथ है, जो सच में पत्थर के पहियों से चलता था.

रानियों के लिए बने स्नानागार मेहराबदार गलियारों, झरोखेदार छज्जों और कमल के आकार के फव्वारों से सजे हुए थे. इसके अलावा कमल महल और जनानखाना भी ऐसे आश्चर्यों में शामिल हैं. यहां हाथी-खाने के प्रवेश-द्वार और मेहराबदार गुंबद बने हुए हैं और शहर के शाही प्रवेश-द्वार पर हजारा राम मंदिर बना है.

2002 में भारत सरकार ने इसे प्रमुख पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित करने की घोषणा की थी. हम्पी में बने दर्शनीय स्थलों में सम्मिलित हैं-विरुपाक्ष मंदिर, रघुनाथ मंदिर, नरसिम्हा मंदिर, सुग्रीव गुफा, विठाला मंदिर, कृष्ण मंदिर, हजारा राम मंदिर, कमल महल और महानवमी डिब्बा. हम्पी से 6 किलोमीटर दूर तुंगभद्रा बांध है.

मंदिरों का शहर

हम्पी मंदिरों का शहर है, जिसका नाम पंपा से लिया गया है. पंपा तुंगभद्रा नदी का पुराना नाम है. हम्पी इसी नदी के किनारे बसा हुआ है. पौराणिक ग्रंथ रामायण में भी हम्पी का उल्लेख वानर राज्य किष्किन्धा की राजधानी के तौर पर किया गया है. हम्पी से पहले एनेगुंदी विजयनगर की राजधानी हुआ करती थी.

विरुपाक्ष मंदिर

विरुपाक्ष मंदिर को पंपापटी मंदिर भी कहा जाता है, ये हेमकुटा पहाड़ियों के निचले हिस्से में स्थित है. हम्पी के कई आकर्षणों में से ये मुख्य है. 1509 ई. में अपने अभिषेक के समय कृष्णदेव राय ने गोपुरम का निर्माण करवाया था.

भगवान विठाला या भगवान विष्णु को ये मंदिर समर्पित है. 15वीं शताब्दी में निर्मित ये मंदिर बाजार क्षेत्र में बना है. मंदिर का शिखर जमीन से 50 मीटर ऊंचा है. मंदिर का संबंध विजयनगर काल से है.

मंदिर के पूर्व में पत्थर की एक विशाल नदी है, जबकि दक्षिण की ओर भगवान गणेश की विशाल प्रतिमा है. यहां आधा सिंह और आधे मनुष्य की देह धारण किए नरसिंह की 6.7 मीटर ऊंची मूर्ति है.

विरुपाक्ष मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. मंदिर का बड़ा हिस्सा पानी के अंदर समाहित है, इसलिए वहां कोई नहीं जा सकता. बाहर के हिस्से के मुकाबले मंदिर के इस हिस्से का तापमान बहुत कम रहता है.

रानी का स्नानागार

हम्पी में बना रानी का स्नानागार चारों तरफ से बंद है, लेकिन ऊपर से खुला है. 15 वर्ग मीटर के इस स्नानागार में गैलरी, बरामदा और राजस्थानी बालकनी है. कभी इस स्नानागार में सुगंधित शीतल जल छोटी-सी झील से आता था, जो भूमिगत नाली के माध्यम से स्नानागार से जुड़ा हुआ था.

हजारा राम मंदिर

हजारा राम मंदिर हम्पी के राजा का निजी मंदिर माना जाता था. मंदिर की भीतरी और बाहरी दीवारों पर बेहतरीन नक्काशी की गई है. बाहरी कमरों की छतों के ठीक नीचे बनी नक्काशी में हाथी, घोड़ा, नृत्य करती बालाओं और मार्च करती सेना की टुकड़ियों को दर्शाया गया है, जबकि भीतरी हिस्से में रामायण और देवताओं के दृश्य दिखाए गए हैं. इसमें असंख्य पंखों वाले गरुड़ को भी चित्रित किया गया है.


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