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आपका मुख्यमंत्री हर सप्ताह में एक दिन जनता दरबार लगाकर जनता के समस्याओं को सुनता है । उप-मुख्यमंत्री रोज सुबह जनता दरबार लगाता है. जरूरतमंदों से मिलता है, उन्हें प्रशासनिक स्तर पर मदद दी जाती है। आपका मुख्यमंत्री आपकी एक मांग पर अपना फैसला वापिस लेता है। एक दिन के आंदोलन से ही फैसले पलट दिए जाते है। तानाशाही की बजाए शांति से काम किया जाता है।

बगैर किसी शोर-शराबे के नौकरी की बात होती है, रोज़गार के नए साधन तलाशे जातें है, सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन मंगवाएं जाते है, रिक्त पदों को भरने के लिए नोटिफिकेशन जारी की जाती है। आपराधिक मामलों में लिप्त मंत्री इस्तीफा सौंप आते है। अब क्या चाहिए ??

वहीं दूसरी तरफ रामराज में एक मुख्यमंत्री अपने ऊपर सभी अपराधिक मुकदमें खुद से वापिस लेता है, अपने अपराध का फाइल खुद मंत्री लेकर भाग जाता है, केंद्रीय मंत्री के घर में करोड़ो रूपए पकड़ाता है, सत्ता के अहंकार में चुर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री का बेटा अपने गाड़ी से किसानों को कुचलकर मार देता है पर क्या मजाल जो उसपर कारवाई हो उल्टा सरकार के मंत्रालय और बड़ा विभाग देकर तो दल में कद बढ़ाकर सम्मानित किया जाता है। फिर भी तथाकथित जनता के आवाज उठाने का दाबा करने वाली टीवी वाले इसपर चू भी बोल दे ।

खैर, बीते दो हफ्तों में बिहार ने बहुत कुछ बदलता देखा है। भाजपा के सत्ता से जाने के बाद से ही टीवी वाले इसे जंगलराज का आगमन बता रहें है। अगर यही जंगल राज है तो हमें मुहब्बत है इस जंगल से। समस्त बिहारवासियों को जंगलराज की मुबारकबाद। ️


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