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Naveen S Pokhariya सबसे अच्छी बात आपने कही है नवीन जी इन लड़कियों को कितना भी समझाया जाए परंतु यह इश्क के वशीभूत होकर इश्क में इतना डूब जाते हैं इनको पता नहीं चलता है कौन अपना है कौन पराया है इनको बस पहली बात तो स्कूल जाते हैं कुछ शिक्षा ग्रहण करने के लिए परंतु वहां शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात यह वहां प्रेम इश्क फरमाते हैं और अगर इश्क करते हुए हैं तो अपने बिरादरी का अपने समाज का इनको लड़का नहीं मिलता है इनको बस वही टोपी वाले दाढ़ी वाले कटवा मिलते हैं बहुत सही बात कही आपने शर्म है धिक्कार है ऐसे आने वाली पीढ़ियों पर बच्चियों पर और दूसरी बात यह इन लोगों का कुछ ना कुछ तो करना ही पड़ेगा नहीं तो आए दिन हमारे धर्म की हमारे समाज की कन्याएं यूं ही किसी शाहरुख किसी आदिल किसी कामिल किसी नसीब की शिकार होते रहेंगे और हम सब दो-चार दिन का झूठ मूठ का बवाल बनाकर फिर शांत हो जाएंगे बाद में पता चलेगा हमारा भी नंबर आ जाएगा

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