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मुगल शासकों एवं अफगानी लुटेरों के समय एक साथ पूरे देश मे कभी कोई संगठित विद्रोह न हुआ। इसी वजह से वे इतने साल टिके रहे।

जब महाराणा प्रताप लड़ रहे थे तो बाकी मौन थे।

जब वीर गौकुला सिंह जाट लड़ रहे थे तो तब बाकी चुप थे।

जब शिवाजी महाराज लड़ रहे थे तो बाकी शांत रहे।

जब खाप सेना कुतुबुद्दीन और तैमूर से लड़ रही थी तो तब अन्य दूर रहे।

जब पंजाब वाले जाट अब्दाली से लड़ रहे थे तो बाकी अलग रहे

जब महाराज सूरजमल अब्दाली से लड़ रहे थे तो बाकी मौन रहे।

जब मराठे लड़ रहे थे तो बाकी मौन थे।

जब महाराज सूरजमल और जवाहर सिंह ने दिल्ली पर आक्रमण किया तो बाकी चुप थे।
जब मराठो ने दिल्ली पर आक्रमण किया तो बाकी निष्क्रिय थे।
जब सिख जाटो ने दिल्ली पर आक्रमण किया तब अन्य न थे।

अगर 1857 में जो अंग्रेजों के खिलाफ हुआ था ऐसा मुगलों के खिलाफ होता तो अवश्य ही भारत स्वतंत्र हो जाता।

हमारी आपसी फूट और स्वार्थ ही हमारी गुलामी का कारण रहा है।
#सनातनधर्म


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