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भारत का कोई नागरिक न तो कभी सेना का अपमान करता था और न करता है, ये राजनीतिक लोग है जो वोट के लिए सेना के पराक्रम का जिक्र ऐसे करते है जैसे सीमा पर वे ही मशीन गन लेकर खडे है और सेना जो कुछ कर रही है वह उनके आशीर्वाद से कर पा रही है। और जब लोग ऐसे राजनीतिक लोगों का विरोध करते है तो हमारा तथाकथित मीडिया एक ऐंकर को ये जिम्मेदारी सौंपता है कि ऐसे खबर को तोड़कर मरोड़कर कर पेश करो कि नेता जी का विरोध, सेना का विरोध लगे। ऐंकर लग जाता है बिना ये सोचे कि उसकी ये कीनिया अब लोगों पर कोई असर नहीं डरती क्योकि लोग मूल बात को समझ रहे होते है ।आज की सच्चाई यही है।

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