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टीपू सुल्तान १७८२ में सत्ता में आया और १७९२ में लॉर्ड कॉर्न्वालिस , मराठा और हैदराबाद की संयुक्त सेना से पराजित हुआ। नतीजा- टीपू को उन्हें अपना आधा राज्य और अपने लड़के अंगेजो को सौंपने पड़े।

कहा जाता है जब ग़ुलाम क़ादिर ने मुग़लिया बादशाह शाह आलम की आँखे नोंच ली थी तब टीपू फूट फूट रोया था। टीपू सुल्तान ने बहुतेरी कोशिश करी अफ़ग़ानी जमान शाह दुर्रानी भारत पर हमला कर दे। लेकिन ऐसा हो ना सका। टीपू ने फिर ऑटमन सुल्तान से गुहार लगायी- काफिरों का सफ़ाया करने के लिए- लेकिन उनकी ख़ुद की पतलून फटी पड़ी थी- टीपू की मदद कहाँ से करते। ईरानी शाह से भी टीपू ने मदद माँगी लेकिन यहाँ से भी उसे सैंटा क्लाउस वाली बेल हासिल हुई।

१७९९ में फ़ाइनली टीपू अंग्रेज़ी सेना- लॉर्ड वेल्ज़्ली द्वारा मारा गया। सबसे कमाल की बात- जो आदमी अंगरेजो के सामने घुटने टेक दें- बाहरी विदेशी आक्रांतायों को हमले के लिए न्योता दे- उसे प्रथम स्वतंत्रता सेनानी लिखा पढ़ाया जाता है।


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