4 टिप्पणियाँ

हमारे नगर में जिसे बागेश्वर बाबा की शक्ति चेक करनी हो आज विज्ञान की कसम खा के प्रयोग कर ले।
जे बहुत प्रेक्टिकल खेल है आपको बागेश्वर की शक्तियों पे भरोसा हो जायेगा।विज्ञान पे भरोसा करके चैलेंज कर लो।
एक पेप्सी की बोतल में स्वमूत्र भर ले ढक्कन बंद कर ले।
1 सराफा स्कूल के पीपल pe
2 पाठकपूरा मंजुबाबा के पास के पीपल
3 पानी की टंकी के बाहर के पीपल के निसान pe

4 गुदर badshah ke Kali Mandir se अग्रसेन शमशान के बीच के समस्त चबूतरे pe
5 alav maidan ki बंजारो की कावरो pe
Nadi किनारे के चबूतरों पे छिड़क देना ।
और बोल देना जो उखाड़ सको उखाड़ लो तुम्हारा shaki naka।
बस जिंदगी में नया विज्ञान खुल जायेगा


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यह सिर्फ श्रद्धा की बात किसी लक्ष्य के प्रति एक जुनून होता है हर व्यक्ति का जिसे इश्क कहते हैं जिसे हंड्रेड परसेंट परफॉर्मेंस कहते हैं और जब व्यक्ति उसे पाने की कोशिश करता है तुम्हें झूमता है जैसे कि कुछ लोग झूमकर लूटते हैं कुछ लोग झूम कर ठग लेते हैं यह तो एक विद्या है अपने लक्ष्य को पाने की जब आदमी उसमें डूब जाता है तो वह नृत्य करता है उस तरीके से जिस तरीके से वह अपनी मंजिल तक पहुंच जाए बड़ा कठिन मनोविज्ञान है यह है इसे वह समझता है जो महसूस कर सकता है

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मे एक साधारण व्यक्ति हू जो आज तक news को बताना सहाता हु कुछ दिन से bageswar dham balaji के भक्त पर जादू टोटका का आरोप लगा रहे अब मेरा ये कहना है कि जो भगवान पर वीस वास नहीं करते एसे लोग बाबाजी को पाखंडी बता रहे और ये माग कर रहे की मेरे सामने सम्त कार करके दिखाए अब इसके बारे मे किया बताये अगर एसे लोगों को जो बालाजी को नहीं मानते हो वे डायरेक्ट फल पाना साहते अगर एसा हो जाता है फिर पुजा या तपस्या करने की किया जरूरत है जब अर्जुन ने दिव्य ज्ञान प्राप्त किया वो एसे नही प्राप्त हुआ अर्जुन ने गोर तपस्या की तब जाके उनको दिव्य सक्ती प्राप्त हूई अब इस कलयुग मे भटके हुए लोगो को धर्म के रास्ते लाने का कार्य कर रहै है उनको बदनाम करने के लिए मदिरा पान करने वाले सवाल पुसने लगते है मेरा कहने का मतलब यह है भगवान जिनके उपर किरपा करेगे जो भगवान को मानते है जो सरधा रखते है अब बिसमे कोई आकर ये दावा करते है मेरे सामने जो मे कहू वो सस करके दिखाए तब मे मानुगा अब एसे लोगो को कोन समझाए अगर देवी देवताओ का लाभ लेना है तो पहले उनके उपर विस्वास ओर पुजा करे ओर धर्म के मार्ग पर सले तब आपको बालाजी सम्त कार दिखाएगे अब कहने को बोहत कुछ है मगर टाइम नही है अप आगे इस बातो का अर्थ निकाल कर समज सकते हो

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सनातन कोई धर्म नहीं है सनातन का मतलब है जो प्राचीन काल से चला आ रहा है ।जब मनुष्य ने सभ्यता बसाई, खेती और पशुपालन शुरू किया, तब से सनातन खेती और पशुपालन को माना जाता था ।उत्तर भारत में किसान जब जमा जागरण कराते है तो वे बोलते थे गांंवखेङाधणी की जय, सनातन की जय और गोमाता की जय
खेङाधणी यानि कबिले के देवता
सनातन धर्म यानि खेती किसानी
गोमाता यानि पशुपालन
जैसे किसान के लिए खेती और पशुपालन सनातन धर्म है वैसे ही ब्राह्मण के लिए पुजा, कर्मकांड, कथावाचन, शास्त्र वाचन सनातन धर्म है ।
वर्तमान समय में धार्मिक लोगों ने सनातन को केवल धार्मिक शास्त्र, कथावाचन, कर्मकांड, पूजापाठ आदि से जोङ दिया। और किसान वर्ग ने पिछले 30_40 साल से यह मान लिया कि सनातन खेती नहीं जबकि मनुष्य के सभ्यता के बाद सनातन सिर्फ खेती किसानी ही है क्योकि खेती किसानी के बाद मठ मंदिर पुजा पाठ और कथावाचन आये है
सदियों से चला आ रहा काम सिर्फ खेती और पशुपालन है ।लेकिन आजकल किसान सबसे ज्यादा कथावाचन करवाते है हालांकि कथावाचन कथावाचक की आजीविका है ,आर्थिक गतिविधी है ,जिसमें राजा रानी और उच्च वर्ग जाति की कहानी बतायी जाती है ।किसान पैदल यात्रा, कथावाचन, वाहन से परिवार धार्मिक पर्यटन ,चार धाम यात्रा आदि करते है ,उत्तर भारत के गांवो में मंदिर 50_60 साल से पुराने नहीं है


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