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स्वेता जी तुम् तो अंध विश्वास से दूर रहती हो.. सबसे बड़ा अंधविश्वास खुद करती हो तुम्हारे घर में अगर कोई बुजुर्ग मर जाएं तो उसे जलाना नहीं.. जलाने से क्या हो जायेगा.. जब कुछ होगा नहीं तो फिर लकड़ी क्यों जलाये लकड़ी तो पेड़ पर आती है.. और हाँ रोने से कोई जिन्दा नहीं होता... एक आदमी जाओ जंगल में फेंक आओ.... ये जितने पेनल में बैठे है इन सबसे कसम लो कि कोई अंतिम संस्कार नहीं करेगा क्योंकि यह अंध विश्वास को बढ़ावा देता है.. लोग रोते है.. लोग सांत्वना देने आते है.. बिना वजह.. उस से क्या होगा.. लोग अपना कीमती समय निकाल कर श्मशान जाते है यह अंध विश्वास नहीं तो क्या है...

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