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अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी जैसे फर्जी कांग्रेसी शंकराचार्य क गद्दी पर बैठते ही शंकराचार्य की तपोभूमि जोशीमठ की भूमि दरकने लगी। प्रकृति भी ऐसे फर्जी शंकराचार्य की उपस्थिति से नाराज है। इसलिए हजारों साल से भूस्खलित चट्टान पर बसे जोशीमठ की भूमि दरकने लगी। अपने तपोबल से इसे रोकने के बजाय फर्जी कांग्रेसी शंकराचार्य अपनी कमी अपने दोस्त के कारण हो रहे जोशीमठ के विनाश का ठीकरा आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर फोढ़ना चाहते हैं। जबकि जोशीमठ में जो हो रहा है आदि गुरु शंकराचार्य की मर्जी से ही हो रहा है और उनके चमत्कार को रोकने के लिए किसी को चमत्कार दिखाने की आवश्यकता नहीं है प्रकृति खुद अपना बुलडोजर चला रही है।

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