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जब देश के सत्तारूढ़ पार्टी ही संसद से डर के भाग रही है तो नई संसद भवन की ज़रूरत ही क्या है ? क्या देश की जनता का पैसा का बर्बादी नहीं है ? जब देश का मुखिया देश का प्रधानमंत्री लोकतंत्र का चोथा स्थम्ब देश के पत्रकार से डरता है एवं उनको सामना नहीं कर पाता तो एसी संसद भवन एवं वहाँ का पत्रकार का बेठने की जगह की ज़रूरत क्या है ? अगर देश के ज़्यादातर बील बिना बहस के पारित कर दिया जाए तो इतनी बड़ी संसद भवन की ज़रूरत क्या है ? अगर एक तानासाही तरीक़ा से सरकार को चलना है तो लोकतंत्र की ज़रूरत ही क्या है ?
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