1 टिप्पणियाँ
आज तक की पापुलैरिटी क्या यही तक रह गई, कभी किसी अपराधी का पूर्ण विवरण देते देते, कभी जात पात के मामलों में दिखाते दिखाते, कभी धर्म के नाम पर जनता को बेवकूफ बनाने वालों के गुणगान करते करते, लोगों को दिखाना क्या पत्रकारिता के गुण है, कभी तो जनता की समस्या पर आओ, चैनल और भी है लेकिन सबसे ज्यादा फालतू बातों के लिए आज तक नंबर है, थोड़ा अपना नजरिया बदलना जरूरी है, ताकि राजनीति से हटकर चैनल देखने वाली आम जनता को चैनल देखने के लिए उत्सुकता रहे, हमारे जैसे लोग भी न्यूज़ चैनल देखने में इंटरेस्ट नहीं रखते,
सीताराम
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