2 टिप्पणियाँ

कांग्रेस की दिक्कत यह नहीं है कि राहुल गाँधी की सदस्यता चलीं गइ.. या उनका बंगला खाली करवाया गया..
क्योंकि उनकी सदस्यता के बारे में जो भी निर्णय हुआ वो संविधान और कानून के तहत ही हुआ है ..और यह संभवत प्रक्रिया और नियम कानून से कांग्रेस और कांग्रेस के नेतृत्व भी वाकिफ़ होंगे जीसे वो नकार नहीं सकते..

दरअसल कांग्रेस के लिए दिक्कत ये हुई की वो चाहतीं होंगी की इसी मुद्दे पर राहुल गाँधी स्वयं अपना इस्तीफा दे दें ताकि देश के सामने उन्हें हिरो साबित किया जा सकें और हो सकता है कि कांग्रेस के भीतर इसी मुद्दे पर मंथन भी चल रहा होगा..
लेकिन कांग्रेस ऐसा कोई कदम उठाएं उस से पहले ही सरकार ने संविधान और नियमों के तहत फैसला लेकर कांग्रेस का खेल खतम कर दिया..


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Raju Rai कांग्रेस के लिए बड़े दुर्भाग्य की बात है कि राहुल गाँधी को आज किसी भी बात का डर नहीं है..
न कांग्रेस के नेताओं का और न कांग्रेस के भविष्य का..
यानि कि पूरी तरह गेर जिम्मेदार व्यक्ति की तरह पेश आ रहे हैं.
बहेतर होता की कांग्रेस राहुल गाँधी का बचाव करने के बजाय उनके बयानों पर कुछ संज्ञान लेतीं..

सवाल यहाँ सिर्फ राहुल गाँधी तक ही सिमीत नहीं है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल कांग्रेस के उन नेताओं और राहुल गाँधी के सिपा सलाहकारों पर भी उठता है जो राहुल गाँधी के बेहूदे बयानों का बचाव कर रहे हैं और उन्हें खुली छूट दे रहे है..दरअसल पूरे विषय को देखते हुए लगता है कि..एक अपरिपक्व नेता के भरोसे पुरी पार्टी को छोड़ देने की भुल आने वाले वक्त में पुरी पार्टी के लिए घातक साबित हो सकती है.. क्योंकि ऐसे बयानों को देश की जनता कभी स्विकार नहीं करेंगी जो राहुल गाँधी निरंतर करते रहते हैं..
अगर समय रहते हुए कांग्रेस ने अगर राहुल गाँधी के बयानों पर कोई संज्ञान नही लिया और ऐसा ही चलता रहा तो हो सकता है कि आने वाले 2024 के चुनाव ही कांग्रेस के लिए आखरी चुनाव बनकर रह जाऐगा.

जय हिंद.


Link: http://www.vin3.org/index.php?c=article&cod=312617&lang=IN#vin3Comment-1464244
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