4 टिप्पणियाँ

Rafique Ahmad अब तो आईएएस के सवालात ऐसे होंगे कि 2014 की लड़ाई किन किन चूतियों के बीच लड़ी गई इसमें कितनी प्रजा मारी गई कौनसा कर 2014 की लड़ाई के बाद लगाया गया जिससे प्रजा आत्महत्या की सन् 2014 में जिस शासक का राज आया उसकी प्रारंभिक शिक्षा किस गुरु से मिली और उसकी उच्च शिक्षा के लिए कौन कौन से सलाहकारों ने अपनी माँ बहन एक करायी अब तो ऐसे सवाल आयेंगे साहब क्योंकि इतिहास पन्नों से तो हटा दिया लेकिन वक़्त की तारीख़ों को कैसे हटा सकते हैं नाम बदलने से अगर किसी समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुँचती है तो दलित समाज जोकि उन्होंने के समुदाय के लोग है उनको मंदिर का मुख्य पुजारी बना दे और उसका नाम श्री श्री 2014 मुनि महाराज रख दो

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Aashish Sharma जब उनके अंदर इतना पावर था दिव्य शक्ति थी तो संजीवनी को पहचान क्यूं नहीं पाए ? और संजीवनी लक्ष्मण के लिए रामबाण है उन्हें किसी वैद्य ऋषि को क्यूं बताना पड़ा खुद क्यों नहीं जान पाए ? शर्मा जी आप की आस्था की मैं इज्जत करता हूं लेकिन जो समझ से परे रहेगा उसपर तो सवाल बनता है आज के साइंस के इस दौर में हर बात पर आंख मूंदकर कम से कम मैं तो समर्थन नहीं कर सकता जब पीर फकीर जो की हनुमान जी से अपेक्षाकृत बहुत जल्दी की बातें हैं उन्हें नहीं मानता तो हजारों हजार साल पहले की बे सिर पैर की बातों को मानने का सवाल ही नहीं पैदा होता आप की आस्था आप को मुबारक हो।

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Samarnath Yadav प्रभु श्रीराम जी की आज्ञा नहीं थी, यही मुख्य कारण था। जग विदित है प्रभु श्री राम जी भगवान विष्णु जी के अवतार थे उनकी सहायता के लिये देवाधीदेव महादेव हनुमान जी के अवतरण रूप में श्रीराम जी के सहायक बने।
ये दोनों ही देव एक दूसरे के पूरक हैं, इन्हीं से सृष्टिकाल संचालित होता है इन्हीं के कारण प्रलय/परिवर्तन धरती पर होता है।

जैसी प्रभु इच्छा "गीता उपदेश में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा ये उपदेश दिया है कि मैं ही पर ब्रह्म हूं, मैं ही सष्टि का निर्माता हूं, मैं ही सष्टि का संघारक हूं, करने वाला मैं हूं कराने वाला मैं हूं, प्राणी तो निमित मात्र है। जो हो रहा है मेरी ईच्छा से हो रहा है, लेकिन जब-जब पृथ्वी पर धर्म की हानि होगी मैं पुनः आऊंगा और अधर्म का नास करूंगा"

यदा-यदा ही धरमस्यंग, अभ्युतानम अधरमस्यं.............

प्रभु श्रीहरि इस कलयुग में भी अवतरित होंगे, जिनका ये अवतार कल्की अवतार कहलायेगा, जब कलयुग अपने घोर चरम पर पहुंच जायेगा।

जय श्रीराम।


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1। हनुमान जी ने पहले गोवर्धन पर्वत उठाया जब राम सेतु बन रहा तब हनुमान जी गोवर्धन पर्वत ले कर आ रहे थे राम सेतु बना चुका था तो हनुमान जी को पता चला कि राम सेतु बन बन चुका है तो हनुमान जी ने गोवर्धन पर्वत गोकुल में ही रख दिया और गोवर्धन पर्वत को वचन दिया की प्रभु श्री राम जब द्वापर युग में जन्म लेंगे तब वो स्योम तुम्हे अपने हाथो से उठागे तब द्वापर युग में श्री कृष्ण का जन्म हुआ तो श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत अपनी एक उंगली से उठा था तब से गोवर्धन पर्वत की पूजा आज भी होती हैं
2। द्रोणागिरी पर्वत जब लक्ष्मण जी को संजीवनी बूटी लेकर आए थे हिमालय से


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